जब उर्दू झारखंड में क्षेत्रीय भाषा हो सकती है तो हिंदी क्यों नहीं- मनीष जयसवाल
विधायक बोले, सरकार भाषा के नाम पर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही
हजारीबाग सदर के भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से सरकार से जानना चाहा कि राज्य में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा मैट्रिक और इंटर स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में उर्दू पूरे राज्य में रीजनल भाषा हो सकती है तो हिंदी क्यों नहीं ? कहा कि सरकार का उर्दू प्रेम इतना ज्यादा है कि अपने ही आदेश को चार दिनों में बदल देती है. कहा कि संविधान की 8 वीं अनुसूची में उर्दू दूसरी राष्ट्रीय भाषा है। इसे रीजनल भाषा में कैसे डाला जा सकता है ।
खोरठा बोलनेवाले की संख्या 80 लाख
विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि सरकार भाषा के नाम पर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। राज्य में खोरठा बोलनेवाले की संख्या 80 लाख है लेकिन यह राज्य के सभी जिले में रीजनल भाषा नहीं है जबकि उर्दू बोलनेवाले मात्र 19 लाख हैं लेकिन इसे सभी जिले में रीजनल भाषा के रूप में शामिल कर लिया गया है। दुमका में मात्र 3 प्रतिशत लोग ही उर्दू बोलते हैं ।
रीजनल भाषा तय करने का आधार क्या है
उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि रीजनल भाषा तय करने का आधार क्या है। राष्ट्रीय भाषा को रीजनल भाषा कैसे बनाया गया ? जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार के पास यह अधिकार है कि वह समीक्षा पर निर्णयों में परिवर्तन कर सकती है। 12 जनजातीय भाषा को प्रतियोगिता परीक्षा में लिया गया है ।
कहा कि पहले छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी में पास करना होगा। कहा कि भाषा के नाम पर विपक्ष राजनीति कर रहा है। कहा कि सरकार इसपर गंभीरता से विचार करेगी। विधायक मनीष ने कहा कि वह मंत्री के जवाब से घोर असंतुष्ट हूं ।