सभ्य जीवन के लिए रोटी, कपड़ा और मकान पर्याप्त नहीं, शिक्षा एवं स्वास्थ भी जरूरी : सिकंदर कुमार
छात्र सिकंदर कुमार की कलम से
संवाददाता : बरही
इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य का जीवन पूरी तरह उलझ चुका है। खास कर ग्रामीण क्षेत्र में आज मनुष्य, रोटी,कपड़ा और मकान से आगे नहीं जा पाया हैं। देखा जाये तो मनुष्यों ने इन तीन आधारों को उपभोग का अंतिम स्रोत मान लिया है। मगर आज के दौर में इतने से काम अब चलने वाला नहीं है। जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान के साथ-साथ अब मनुष्यों को शिक्षा और स्वास्थ्य की भी बहुत ज्यादा दरकार है।
आज की स्थिति ऐसी है कि शिक्षा, स्वास्थ्य के बिना जीवन जीना दूभर माना जाता है। यहां देखा जाए तो सरकारों ने भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सारे कार्य किए हैं,आज निजी क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज एवं अस्पतालों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रहा हैं, पर वहीं सार्वजनिक क्षेत्रो की बात करें तो सरकारों ने मिलकर बजट के माध्यम से विशेष प्रावधान कर शिक्षा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का भरपूर प्रयास किया जाता हैं। मगर देखरेख के कारण स्थिति दयनीय है।
ग्रामीण व पिछड़े इलाकों के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य की स्थिति ठीक नहीं है। उन्हें मजबूरन कर्ज महाजन लेकर निजी क्षेत्र की ओर प्रस्थान करना पड़ता है। आज के इस दौर में मनुष्य को चाहिए कि रोटी, कपड़ा और मकान तक ही अपनी स्थिति को न रख कर अपने जीवन में शिक्षा, स्वास्थ्य को भी शामिल करना आवश्यक है। आज सभ्य जीवन जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान के साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य बहुत जरूरी है। इन पर मनुष्य को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।