चावड़ा पहाड़ की अनोखी कहानी साहित्यकार सुनील कुमार दे की जुबानी
पोटका/ पूर्वी सिंहभूम/ झारखण्ड
सुरेश कुमार महापात्र की रिपोर्ट
राजनगर प्रखंड अंतर्गत राजावासा गांव स्थित एक एतिहासिक पहाड़ है जिसका नाम है चावड़ा पहाड़।इस पहाड़ के उपर एक विशाल तालाब है जोकि भूमि तल से करीब तीन किलोमीटर ऊपर चावड़ा पहाड़ के चोटी पर स्थित है।इसी तालाब के सामने माताजी आश्रम हाता की संस्थापिका महान साधिका,वाक सिद्धा, भगवान रामकृष्ण देव जी की शिष्या श्रीश्री योगेश्वरी आनंदमयी माताजी ने एक छोटी सी कुटिया बनाकर 12 बर्ष तक साधना करके सिद्धि प्राप्त की थी और अलौकिक आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की थी।इसी चावड़ा पहाड़ को लेकर अनेको कथा और कहानी प्रचलित है।लेकिन साधिका योगेस्वरी माँ के साधना स्थल के कारण यह पहाड़ एक तीर्थ भूमि भी है।लेकिन इस एतिहासिक जगह पर आज तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिला।मैं इस पुण्य भूमि में तीन बार जा चुका हूँ।इस पहाड़ में अभी माताजी की कोई स्मृति अवशेष नहीं है शिवाय खंडहर भूमि के।ठाकुर जी के आदेश पर माताजी ने उनके परम भक्त चाईबासा के आशुतोष हुई और अतुला सुंदरी हुई के सहयोग से माँ योगेश्वरी ने सन 1938 को हाता में माताजी आश्रम की स्थापना की थी।उस समय माताजी आश्रम के मूल ठाकुर घर खपड़ा और मिट्टी की थी।भगवान रामकृष्ण की असीम कृपा और योगेश्वरी माँ और उनकी संन्यासी शिष्या रानुमा तथा रानुमा की शिष्या सुनीति माँ का आशीर्वाद और भक्तजनों की सहयोग से माताजी आश्रम में रामकृष्ण मंदिर 85 सालों के बाद बन गया है जिसकी प्रतिष्ठा बिगत 14 मार्च 2022 को धूमधाम से किया गया है।यह हम सभी भक्तजनो तथा इस अंचल के आम जनताओं के लिए गौरव और शौभाग्य की बात है आज सचमुच माताजी आश्रम एक तीर्थ का रूप ले लिया है।अभी सालों भर छोटे,बड़े बिबिध धार्मिक,साहित्यिक,सांस्कृतिक,समाज कल्याण और सेवा मूलक कार्य हो रहा है।इसके अलावे प्रतिदिन ठाकुर रामकृष्ण, माँ सारदा देवी,स्वामी विवेकानंद, योगेश्वरी और रानुमा कि पूजा सेवा हो रहा है।प्रतिदिन संध्या आरती,भजन कीर्तन और रामकृष्ण कथामृत का भी पाठ हो रहा।आश्रम में दो अतिथि भवन वर्तमान निर्माणाधीन है जो सभी के सहयोग से पूर्ण किया जायेगा।
माताजी आश्रम केवल एक आश्रम नहीं बल्कि एक सिद्ध पीठ और योगेश्वरी और रानुमा जैसे महान साधिकाओं का कर्मभूमि भी है।आओ हम सभी मिलकर इस धार्मिक धरोहर को रक्षा करें।