पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी के सहयोगी रहे यशवंत सिन्हा होंगे विपक्ष के प्रत्याशी
एजेन्सी
दिल्ली/रांची – तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार होंगे। इस बात की आधिकारिक कर दी गई। इससे पहले यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि टीएमसी ने उन्हें जो सम्मान और प्रतिष्ठा दी, उसके लिए वे ममता बनर्जी के प्रति आभारी है, अब समय आ गया है, जब एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए उन्हें पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए। करीब दो से ढाई दशक तक बीजेपी में सक्रिय रहकर देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले यशवंत सिन्हा ने आईएएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति में कदम रखा था। 1937 में बिहार में एक कायस्थ परिवार में जन्मे यशवंत सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश जैसा अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं।
बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां गांव में जन्मे यशवंत सिन्हा ने प्रारंभिक शिक्षा पटना में पूरी करने के बाद राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। 1960 तक पटना विश्वविद्यालय में इसी विषय के प्रोफेसर भी रहे। इसी साल उनका चयन प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हो गया और करीब 24 साल तक उन्होंने प्रशासनिक सेवा में नौकरी की। वे दो साल तक बिहार में वित्त विभाग के सचिव और भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उपसचिव समेत कई पदों पर रहे, जबकि 1971 से 1974 तक जर्मन के बोन स्थित भारतीय दूतावास के पहले सचिव नियुक्त किए गए। 1973 से 74 के दौरान यशवंत सिन्हा ने फ्रैंकफर्ट में भारतीय महावाणिज्यदूत के पद पर कार्य किया। करीब 7 साल तक इस पद पर रहने के बाद उन्हें विदेश व्यापार और भारत के यूरोपीय अर्थिक संघ से रिश्तों के विषय में निपुणता हासिल की। बिहार और केंद्र में विभिन्न पदों पर काम करने के बाद जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में आ गए। 1984 में यशवंत सिन्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ कर जनता पार्टी के साथ राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 1988 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए, जबकि 1989 में जनता दल के निर्माण के बाद उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया।
1990-91 में वे चंद्रशेखर सरकार में वित्तमंत्री रहे। बाद में भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया। वहीं, केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद वे वित्तमंत्री और विदेशमंत्री रहे। इस दौरान यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। बाद में उन्होंने बीजेपी से त्यागपत्र दे दिया और अलग मोर्चा बनाकर भाजपा के विरोध में राजनीतिक एकजुटता बनाने की कोशिश की, लेकिन वर्ष 2021 में वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। फिलहाल राज्यसभा के सांसद हैं।