May 5, 2024
Jharkhand News24
कहानियाँधर्म

बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया वट सावित्री पूजा

Advertisement

बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया वट सावित्री पूजा

झारखंड न्यूज 24 देवघर झारखंड से अजीत कुमार संतोषी की रिपोर्ट

Advertisement

देवघर। वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है। इस दिन सुहागन महिलायें अपने सुहाग की रक्षा के लिए वट वृक्ष और यमदेव की पूजा करती हैं। शाम के समय वट की पूजा करने पर ही व्रत को पूरा माना जाता है। इस दिन सावित्री व्रत और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार इस कथा को सुनने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। कथा के अनुसार सावित्री यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले आई थी। इस व्रत में कुछ महिलायें फलाहार का सेवन करती हैं तो वहीं कुछ निर्जल उपवास भी रखती हैं।

“वट वृक्ष का महत्व”

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का बहुत ही महत्व माना जाता है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व होते हैं। शास्त्रों के अनुसार वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास होता है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वट वृक्ष अपनी लंबी आयु के लिए भी जाना जाता है। इसलिए यह वृक्ष अक्षयवट के नाम से भी मशहूर है।

“पूजन सामग्री”

वट सावित्री पूजन के लिए सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का बना हुआ एक पंखा, लाल धागा, धूप, मिट्टी का दीपक, घी, 5 तरह के फल फूल, 1.25 मीटर कपड़ा, दो सिंदूर जल से भरा हुआ पात्र और रोली इकट्ठा कर लें।

“पूजन विधि”

इस दिन सुहागनों को सुबह स्नान करके सोलह श्रृंगार करके तैयार हो जाना चाहिए। वट सावित्री में वट यानि बरगद के पेड़ का बहुत महत्व माना जाता है। शाम के समय सुहागनों को बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी होती है। एक टोकरी में पूजा की सभी सामग्री रखें और पेड़ की जड़ो में जल चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद दीपक जलायें और प्रसाद चढ़ायें। इसके बाद पंखे से बरगद के पेड़ की हवा करें और सावित्री माँ का आशिर्वाद लें। वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे धागे या मोली को 7 बार बांधते हुए पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करें। इसके बाद माँ सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें। घर जाकर उसी पंखें से अपने पति को हवा करें और आशिर्वाद लें। फिर प्रसाद में चढ़े फल आदि ग्रहण करने के बाद शाम में मीठा भोजन अवश्य करें।

“वट सावित्री व्रत की कथा”

बहुत पहले की बात है अश्वपति नाम का एक सच्चा ईमानदार राजा था। उसकी सावित्री नाम की बेटी थी। जब सावित्री शादी के योग्य हुई तो उसकी मुलाकात सत्यवान से हुई। सत्यवान की कुंडली में सिर्फ एक वर्ष का ही जीवन शेष था। सावित्री पति के साथ बरगद के पेड़ के नीचे बैठी थी। सावित्री की गोद में सिर रखकर सत्यवान लेटे हुए थे। तभी उनके प्राण लेने के लिये यमलोक से यमराज के दूत आये पर सावित्री ने अपने पति के प्राण नहीं ले जाने दिए। तब यमराज खुद सत्यवान के प्राण लेने के लिए आते हैं।
सावित्री के मना करने पर यमराज उसे वरदान मांगने को कहते हैं। सावित्री वरदान में अपने सास-ससुर की सुख शांति मांगती है। यमराज उसे दे देते हैं पर सावित्री यमराज का पीछा नहीं छोड़ती है। यमराज फिर से उसे वरदान मांगने को कहते हैं। सावित्री अपने माता पिता की सुख समृद्धि मांगती है। यमराज तथास्‍तु बोल कर आगे बढ़ते हैं पर सावित्री फिर भी उनका पीछा नहीं छोड़ती है। यमराज उसे आखिरी वरदान मांगने को कहते हैं तो सावित्री वरदान में एक पुत्र मांगती है। यमराज जब आगे बढ़ने लगते हैं तो सावित्री कहती हैं कि पति के बिना मैं कैसे पुत्र प्राप्ति कर स‍कती हूँ। इसपर यमराज उसकी लगन, बुद्धिमत्ता देखकर प्रसन्न हो जाते हैं और उसके पति के प्राण वापस कर देते है।

Related posts

रक्तदान को महादान समझते हैं युवा व समाजसेवी- प्रेसिडेंट अजहर आलम

hansraj

बड़ा बाजार यूथ विंग के प्रयास से दो जरूरतमंद को कराया गया रक्त उपलब्ध

hansraj

ॐ साई राम प्रज्ञा केंद्र में राज्य व केंद्र सरकार के सभी योजनाओं की मिलेगी जानकारी

hansraj

बन्द घर को चोरों ने बनाया अपना निशाना,घर वाले गए थे राजस्थान

hansraj

आरोग्यम अस्पताल पहुंचे चमत्कारी त्रिशूल बाबा, निर्देशक हर्ष अजमेरा ने किया स्वागत

jharkhandnews24

बांग्ला क कीर्तन से पुरे क्षेत्र मे भक्ति मय का माहौल

reporter

Leave a Comment