दी आर्य भट्ट इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों ने रंगोली बना कर एवं द्वीप प्रज्वालित कर शहीद सैनिको को दी श्रद्धांजलि
संवाददाता : बरही/धनंजय कुमार
बरही हज़ारीबाग रोड स्थित दी आर्य भट्ट इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों ने बहुत ही हर्षोल्लास के साथ रंगोली प्रतियोगिता में भाग ले कर एक से एक मनमोहक रंगोली बना कर अपनी अपनी खुशियां जाहिर किए एवं द्वीप प्रजवल्लित कर देश के जाबांज शहीद सैनिको को श्रद्धांजलि दी। संस्थान के संचालक अरुण शर्मा ने दीवाली के बारे में बताते हुए कहे कि माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है और असत्य का नाश होता है।
दीपावली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी स्वच्छ कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी स्वर्णिम झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब स्वच्छ और सजे दिखते हैं। उसी प्रकार हम सभी मानव जाती को भी हमेशा द्वीप जैसा प्रज्जवलित हो कर इस जग को रोशनी प्रदान करना चाहिए। एवं अगर हमारे पास समस्या आती है तो इसका मतलब है कि हम पहले से और ज्यादा निखरंगे। उसी प्रकार जब श्री राम को वनवास हुई तो वो एक मात्र राजकुमार राम थे। वनवास से वापसी के बाद वो पुरुषोत्तम भगवान श्री राम कहलाएं।