May 17, 2024
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बारिश के इंतजार में सुख रहे बिचड़े, नहीं हो रही धान की रोपाई

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बारिश के इंतजार में सुख रहे बिचड़े, नहीं हो रही धान की रोपाई

मौसम की बेरुखी व संभावित सुखाड़ से किसान हताश

पदमा

पुरुषोत्तम पाण्डेय

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पर्याप्त बारिश नहीं हाेने से धान के बिचड़े सूख रहे हैं और खेतों में दरारें पड़ने लगी है। अगर समय पर धान की बुआई नहीं हुई तो किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। इसी फसल पर किसानों की सारी उम्मीदें टिकी रहती है। बच्चे को पढ़ाना हो, बेटी की शादी करनी हो या महाजन का कर्ज चुकाना हो सब इसी फसल पर निर्भर करता है। अच्छी बारिश न होने से सूखे जैसे हालात हो रहे हैं। पानी के अभाव में खेत सूख गए है। धान की रोपाई का काम बाधित हो गया है। नमी गायब होने से किसानों की समस्या बढ़ रही है। वर्षा नहीं होने के कारण पदमा प्रखंड क्षेत्र के किसानों के हालात बहुत ही दयनीय है। किसान इस बार कड़ी मेहनत व काफी खर्च कर अपने खेतों का पटवन के जरिए धान का बिचड़ा तैयार कर लिए हैं।

मौसम को देखते हुए किसानों ने आप बीती सुनाते हुए बताया कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष झमाझम वर्षा की आस लगाई जा रही थी। इसे लेकर किसानों ने धान की नर्सरी डालने में तेजी बरती। नर्सरी तैयार हो गई पर किसान वर्षा की आस लगाई बैठी है। मौसम का मिजाज इतना बदल गया है कि धूप की तपिश तेज हो जाने से रोपाई का कार्य शुरु भी नहीं हुआ है। बारिश के अभाव में रोपनी के लिए खेत में जुताई नहीं किया जा रहा है। जो बिचड़ा लगे हुए हैं वह भी अब विकास नहीं कर रहे हैं। धान की नर्सरी में बड़े-बड़े दरारे आने लगे, यह स्थिति एक सप्ताह और रह गई तो बिचड़े भी झूलसने लगेंगे। साथ ही बताया बारिश की यह स्थिति हम किसानों को अकाल की ओर ले जाती दिख रही है।

कभी धूप कभी छांव का प्रतिदिन चलता है सिलसिला

प्रतिदिन आसमान में बादल छाने के साथ ही किसानों के माथे पर वर्षा होने की आस को लेकर खुशी की लकीरें दिखने लगती हैं। धूप छांव का सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा है परंतु पर्याप्त वर्षा नहीं हुई। जिन किसानों ने सिंचाई करके रोपाई का काम शुरू भी किया है पर धूप तेज होने से खेतों की नमी बहुत तेजी से सुख कर दरारे फटने लगती है। आम तौर पर नर्सरी डालने के 21 दिन बाद से रोपाई का कार्य आरंभ हो जाता रहा। अब हाल यह है कि कुछ किसानों की नर्सरी एक माह से अधिक समय की हो जाने के बाद भी घर की जमा पूंजी लगाकर रोपाई करवाने से डर रहे हैं। किसान आसमान से बूंदे टपकने को लेकर टकटकी लगाए हुए हैं। सिंचाई के लिए नहर का साधन नहीं होने से पंपसेट के माध्यम से धान की खेती पूरी तरह घाटे का सौदा साबित होता है। महंगे दर का धान का बीज खरीदकर डालकर नर्सरी तैयार की गई है। वर्षा हुई तो रोपाई की जाएगी नहीं तो सब राम भरोसे ही है। थोड़ी देर से आए मानसून से लोगो को उम्मीद थी की बारिश अच्छी होगी। मानसून ब्रेक होने से किसानों के मंसूबो पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

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