आजादी के 76 साल बाद भी आदिवासी गांव में बिजली,पानी, से जूझ रहे है ग्रामीण- सुनीता
आदिवासी ग्रामीण अभी भी चुंवा से पानी पीने के लिए है महरूम
शिव शंकर शर्मा
इचाक -डाढा पंचायत के बभनी टोला लुकूइया गांव मे आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी बिजली-पानी से जूझ रहे है पूरा गांव। डाढा पंचायत के लुकूइया गांव जो सभी आदिवासी हैं। इस गांव में न तो बिजली पहुंची है और न ही पीने के लिए साफ पानी की सुविधा है।अधिकारी और न सरकार की ध्यान इस आदिवासी गांव में है। मुखिया सुनीता देवी ने बताया कि हमने दर्जनों बार लिखित आवेदन देकर बिजली विभाग, और उपायुक्त हजारीबाग को आदिवासी गांव के सर्वांगीण विकास को लेकर ध्यान आकर्षित करवाने की कोशिश किया. लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। अनुमान के तौर पर हमारे प्रयास से टेंडर भी पास हो गया लेकिन उच्च पदाधिकारियों के मिलीभगत से अभी तक काम शुरुआत नहीं की गई। जिससे यह साबित होता है कि आदिवासी गांव में पदाधिकारी के मिलीभगत से आदिवासियों का विकास नहीं चाहते। आज भी सैकडो लोग इसी मुसीबत में जीने पर विवश है। लुकूइया गांव के चारों तरफ घने जंगल है । जंगली हाथियों का हमेशा डर भय बना रहता है । जानवरों से लोगों का जान से खतरा हमेशा बना रहता है। कब और कौन सा जंगली जानवर रात के अंधेरे में किसकी जान लेंगे ये किसी को पता नहीं ।आज भी लोग चूवां के पानी पीने पर विवश है। मुखिया ने यह भी कहा की पदाधिकारी लोग गरीबों एवं आदिवासियों को सिर्फ दोहन शोषण करते हैं। वही ग्रामीणों का कहना है कि अगर हमारी मांगे व सुविधा पर सरकार विचार नहीं करती है तो आंदोलन झेलने के लिए सरकार व पदाधिकारी तैयार रहें।