May 18, 2024
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बांग्ला भाषा के उत्थान को लेकर उपायुक्त कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम दिए मांग पत्र

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*बांग्ला भाषा के उत्थान को लेकर उपायुक्त कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम दिए मांग पत्र*

*पोटका/पुर्वी सिंहभूम/झारखण्ड*

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*सुरेश कुमार महापात्रा की रिपोर्ट*

बंग्ला भाषा के उत्थान को लेकर  प्रशासनिक स्तर पर उठाई गई आवाज। पोटका प्रखंड के माताजी आश्रम हाता की ओर से साहित्यिक सुनील कुमार दे के अगुवाई में एक प्रतिनिधी मण्डल उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम के कार्यालय में जाकर मांग पत्र सौंपा। आज पोटका प्रखंड स्थित माताजी आश्रम हाता के संचालक सह साहित्यिक सुनील कुमार दे एवं नवोदित कवि सह पूर्व जिलापार्षद करुणा मय मंडल के अगुआई में एक प्रतिनिधी मंडल उपायुक्त विजया जाधव के अनुपस्थिति में उनके निजी सहायक आकाश कुमार के हाथों एक माँग पत्र सौंपा। माँग पत्र में उपायुक्त के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को मांग पत्र सौंपते हुए कहा गया की
” एक ओर जँहा केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा प्रथम वर्ग से पंचम वर्ग तक प्राथमिक शिक्षा में मातृ भाषा को लेकर कई बातें की गई परंतु वास्तविकता कुछ और है। वंही दूसरी ओर प्रदेश सरकार द्वारा भले ही अन्यान्न भाषाओं के माध्यम से पाठ्यक्रम की पुस्तकें मुद्रण की निर्देश जारी कर दी गई है लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है की उक्त निर्देश में कँही भी बंग्ला भाषा में किताबें मुद्रण करने की कोई जिक्र नहीं कि गई है – जो दुःखद है। उक्त विरोधाभाष निर्देश की जानकारी हमें समाचार पत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई जो हम सब बंग्ला भाषीओं के लिये पूर्ण निराश जनक है। मातृ भाषा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा के आधार पर हमें बंग्ला भाषा की पुनर्जीवन लाभ की बड़ी उम्मीदें जगी थी – पर पाठ्यक्रम की किताबों की मुद्रण में बंग्ला भाषा में किताबों की मुद्रण की निर्देश नहीं दिये जाने से सभी की दिलों में नाउम्मीदें पसर गई है । जबकि बंग्ला भाषा झारखंड की ना सिर्फ बुनियादी भाषा है वल्कि सर्वाधिक बोलने बाली मातृ भाषा है। मजे की बात तो यह भी है कि यँहा की समग्र मूल भाषिओं की भाषा भी बंग्ला ही है।
पत्र के माध्यम से  मुख्यमंत्री से यह अनुरोध कि गई की ‘बहू जन हिताय’ के मद्दे नजर यथा शीघ्र बंग्ला भाषा में भी प्राथमिक पाठ्यक्रम की पुस्तकें मुद्रण की निर्देश निर्गत कि जाय ताकि बंग्ला भाषी विद्यार्थियों को भी ससमय पुस्तकें उपलब्ध हो सके एवं प्रदेश में षड़यंत्र के शिकार हमारी मातृ भाषा बंग्ला पुनर्जीवन लाभ कर सके।
प्रतिनिधि मंडल में देबू गोप (वीणापाणी संघ, गोविंदपुर), पल्लव दत्त, नारायण बेसरा (पं.स.स.खाकड़ीपाड़ा), मुनिराम बास्के आदि मौजूद थे।

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