शोषित, पीड़ित, वंचित व असहाय के मसीहा अम्बेडकर – डॉ. कलाम सोसाइटी
कैरो/लोहरदगा : जब कभी भी इतिहास को छान कर अवलोकन किया जाएगा तो उन सबमें सबसे किमती हीरे के रूप में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का नाम होगा। बाबा साहेब भारतीय संविधान के शिल्पकार ही नहीं एक प्रखर वक्ता , कुशल समाजसुधारक , कुशल राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक, महान अर्थशास्त्री के साथ- साथ बहुगुणी प्रतिभा के धनी थे उनकी वैज्ञानिक चेतना संवैधानिक सुझबुझ व दूरदर्शिता का लोहा पुरी दुनिया मानती है। उनकी प्रतिभा का आकलन करना समंदर को आईना दिखाने जैसा है .उनकी शिक्षा पर हम नज़र डालने पर हम पाते हैं कि उन्होंने 1916 में उन्होने अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री ली और 1920 में उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की डिग्री मिली।उन्होनें कोलम्बिया विश्व विद्यालय से 1952 में डॉक्टर ऑफ़ लॉज की उपाधि प्राप्त की और भारत के उस्मानिया विश्व विद्यालय से 1953 में डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर की उपाधि प्राप्त की।वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री के पद को सुशोभित किया और शोषित, पीड़ित, वंचित, व असहाय के मसीहा बनकर उभरे। उक्त बातें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम वेलफेयर सोसाइटी के प्रवक्ता इमरान खान ने कही। आगे बाबा साहेब की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए सोसाइटी के अध्यक्ष जावेद अख्तर हुए कहा- 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के मऊ रामजी मालोजी सकपाल व भीमा बाई की 14 वीं संतान का जन्म हुआ जिन्हें हम और आप बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से जानते हैं, इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल एक सुबेदार थे। 1907 में उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की व 1912 में अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में बीए की डिग्री प्राप्त की वह इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने वर्ग के पहले व्यक्ति थे। महासचिव जुबै़र अंसारी कहते हैं कि बाबा साहेब हमें प्रतिमाओं में कम और किताबों में ज्यादा मिलेगें, अनहिलेशन ऑफ कास्ट, द बुद्ध ऐंड हिज धम्म, कास्ट इन इंडिया, हू वेअर द शूद्राज, रिडल्स इन हिन्दूईज्म, उनकी मुख्य पुस्तकें एंव मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत और जनता पाँच पत्रिकाएं हैं। आज की युवा पीढ़ी इनकी किताबों का गहन अध्ययन करें तो यकीनन भारत को एक नया आयाम मिलेगा।
कार्यक्रम पदाधिकारी इंतखाब आलम बाबा साहेब के कथन को दुहराते हुए कहते है कि शिक्षा सबसे बड़ी शक्ति और कलम सबसे बड़ा हथियार है इस पंक्ति पर अमल किया जाए तो भारत असल में भारत विश्व गुरु होगा। उपाध्यक्ष, जहांगीर अंसारी, उप सचिव जाबिर अंसारी ने भी बाबा साहेब पर अपने अपने विचार रखे, साथ ही सोसाइटी ने प्रस्तावना का वितरण किया। मौके पर मो. असद उल्लाह, साजिद अंसारी, मौलाना अब्दुल रहीम, तनवीर अंसारी, ऐनुल अंसारी, इरशाद अंसारी, जिशान अंसारी, सनाउल्लाह अंसारी, सहीउद्दीन अंसारी आदि मौजूद थे।