भागवत कथामृत को ले बना भक्तिमय वातावरण
झारखंड न्यूज 24
बासुदेव
नाला
नाला प्रखंड क्षेत्र के कुलडंगाल गांव स्थित पुरातन ठाकुर बाड़ी में दो दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन होने से संपूर्ण क्षेत्र में इस कार्यक्रम को लेकर श्रद्धा भक्ति और उत्साह का वातावरण बना हुआ है।
इस धार्मिक कार्यक्रम के पहला दिन बृन्दावन धाम के कथावाचक धर्मप्राण श्याम सुंदर दास ठाकुर जी ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत महारास लीला का मधुर वर्णन किया।
इस हृदय स्पर्शी प्रसंग में कथावाचक ने कहा की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। इसके लिए उन्होंने रास का आयोजन किया। शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धज कर नियत समय पर यमुना तट पर पहुँच गईं। उनकी बांसुरी की सुरीली धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहाँ श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहाँ भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई। जितनी गोपियाँ थीं, उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य एवं प्रेमानंद शुरू हुआ। श्रीकृष्ण ने अपने हजारों रूप धारणकर वहां उपस्थित सभी गोपियों के साथ महारास रचाया लेकिन एक क्षण के लिए भी उनके मन में वासना का प्रवेश नहीं हुआ। कहा कि गोबिंद की बंशी बजते ही सभी को जाने के लिए तैयार हो जाना है। इस्लाम उन्हें पाने के लिए समय और उम्र का बंधन नहीं है। और प्राणी को मालूम ही नहीं है कि कब बुलावा आएगा। समय रहते उनके शरण में जाना ही जीवन का मूल उद्देश्य है। भगवान हरेक के चित्त में विराजमान हैं। किसी भी उम्र में भगवान प्राप्ति के लिए अग्रसर होना चाहिए। इस दौरान हाराधन झा, जगन्नाथ झा एवं राजा झा के द्वारा भोग आरती किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत भक्त वैष्णव एवं साधारण लोग सहित नर नारायण सेवा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर जियाराम ठाकुर, अजीत कुमार पाल, साधन कुमार दे,विजयानंद झा, मुरलीधर झा, तपन कुमार झा, गुजरु पाल केशवचंद्र झा,दुलाल पाल, प्रदीप कर, जयदेव गोराई, साधु कर आदि उपस्थित थे।