शब ए बरात में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने किए गुनाहों से तौबा करते हैं –
झारखण्ड न्यूज़ 24 सेख समीम जामताड़ा
काली पत्थर मस्जिद के इमाम हाफिज सनाउल्लाह ने जुम्मा के नमाज पढ़ाने के दौरान मस्जिद में तकरीर करते हुए लोगों से कहा कि शब-ए-बरात दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। वे इस त्योहार को इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान महीने की 14 वीं और 15 वीं रात को मनाते हैं। इस साल शब-ए-बारात 7 से 8 मार्च के बीच मनाया जाएगा।शब-ए-बारात को इबादत का त्योहार कहा जाता है। त्योहार के नाम में दो महत्वपूर्ण शब्द हैं, ‘शब’ का अर्थ रात और ‘बारात’ का अर्थ मासूमियत है। शब-ए-बारात की रात में मुसलमान अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआएं मांगते हैं। इसके अलावा अपने किए गुनाहों से भी तौबा करते हैं। शब-ए-बारात के मौके पर कई मुसलमान दो दिनों का रोजा भी रखते हैं।शब-ए-बारात को मनाने की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद द्वारा की गई थी। पैगंबर मुहम्मद ने अपनी पत्नी हजरत आयशा से एक दिन कहा था कि उन्हें एक दिन का रोजा रखना चाहिए और पूरी रात अल्लाह की इबादत में बितानी चाहिए। उसी वक्त से शब-ए-बारात को मनाए जाने लगी। शब-ए-बारात में इबादत करने वाले सभी लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इसलिए लोग पूरी रात जागकर शब-ए-बारात में अल्लाह को याद करते हैं और अपने किए की माफी मांगते हैं। अल्लाह इस रात लोगों के गुनाहों की माफी देते हैं उनके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं।