May 4, 2024
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भाषा विवाद बंद को लेकर राँची के फिरायालाल में कोई असर नहीं,जबकि धुर्वा में बंद समर्थक उतरे सड़क पर

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भाषा विवाद बंद को लेकर राँची के फिरायालाल में कोई असर नहीं

जबकि धुर्वा में बंद समर्थक उतरे सड़क पर

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संवाददाता – हंसराज चौरसिया

राँची/झारखंड- भाषा विवाद को लेकर आज झारखंड बंद बुलाया है भोजपुरी, मगही, अंगिका एवं मैथिल भाषाई समर्थकों ने बंद बुलाया है। इसका असर पूरे फिरायालाल में नहीं देखा जा रहा है । जबकि धुर्वा के कई क्षेत्रों में दुकानें-बजार बंद है मगर शहर के अन्य क्षेत्रों में इस बंद का असर बेअसर देखा जा रहा है हालांकि आज रविवार दिन होने के कारण सड़क पर आम दिनों की तुलना में भीड़ कम है । हालांकि बंद समर्थक आज अपने-अपने समर्थको के साथ सड़क पर उतरे और प्रदर्शन किया । बंद को लेकर प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गयी है पुलिस प्रशासन की ओर से कहा कि किसी भी कीमत पर विधि व्यवस्था खराब होने नहीं दी जाएगी । जबकि धुर्वा, हरमू, विद्यानगर आदि क्षेत्रों में बंद समर्थक सड़क पर उतरे ।

इन संगठनों ने किया है समर्थन

 भोजुपरी भाषा समर्थकों का बंद भोजुपरी मगही मैथली, अंगिका मंच ने बंद कॉल किया है । इस बंद को मैथिली भाषा संघर्ष समिति,डीजल ऑटो चालक महासंघ, बस ऑनर्स एसोसिएशन,रांची महानगर महावीर मंडल,बस्ती बचाओ समिति,नौजवान छात्र मोर्चा व अन्य ने बंद का समर्थन किया है।

बाहरी भाषा को बर्दाश्त नहीं की जाएगी : केंद्रीय सरना समिति

 इस बंद का आदिवासी संगठनों ने विरोध किया है । केंद्रीय सरना समिति बबलू मुंडा गुट, फूलचंद तिर्की गुट और अजय तिर्की गूट ने कहा कि किसी भी कीमत पर बाहरी भाषाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । इन भाषा के समर्थकों को इतनी ही तकलीफ है तो सबसे पहले वे दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल आदि राज्यों  में इन भाषाओं की मांग करें कि क्योंकि इन राज्यों में भी इन भाषाई के लोग निवास करते हैं । झारखंड में केवल जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा को स्वीकार किया जाएगा ।

बाहरी भाषा समर्थक लोग चेत जाएं, हम जवाब देने में सक्षम गीताश्री उरांव

 अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि किसी भी कीमत में बहारी भाषाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । अगर ये लोग नहीं चेते तो उनको उनकी भाषा में जवाब देने में आदिवासी-मूलवासी सक्षम हैं । निरंजन हेरेंज टोपनो ने कहा कि झारखंड में केवल क्षेत्रीय और स्थानीय भाषा ही चलेगी. अगर इन भाषा के लोगों को इतना ही दर्द हो तो अन्य प्रदेश में पहले इसकी मांग करें ।

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