मकर संक्रांति की पूनीत बेला में आयोजित 2 दिवसीय मेला का हुआ उल्लासपूर्ण समापन
झारखंड न्यूज़ 24
पाकुड़िया/पाकुड़िया
मदन प्रसाद भगत
मकर संक्रांति की अति पावनतापूर्ण बेला में 15 जनवरी को बड़ी संख्या में लोगों विशेषकर महिलाओं ने मंदिरों में भक्ति भाव से भगवान की अर्चना की। कहा जाता है।कि 14 जनवरी की मध्य रात्रि को भगवान सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इस शुभ तिथि में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।।हालांकि पंजाब सहित अन्य प्रदेशों में अलग-अलग नामों से लोग उत्सव मनाते हैं। भारतीय संस्कृति में शुभ मुहूर्त की महत्ता है तथा यह पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। खरमास में नये भवन निर्माण, परिणय तथा शुभ कार्य निषेध है।15 जनवरी से शादी आदि सभी शुभ कार्य होंगे। भीष्म पितामह भी अपना जीवन का त्याग भगवान भास्कर का उत्तरायण होने पर ही किया था। भारत में दिन भी बड़ा होगा। मकर संक्रांति को लोग तील, अन्न आदि दान करते हैं और चूड़ा दही खाने की परम्परा भी रही है। वहीं पाकुड़िया प्रखण्ड के शीद्पुर गांव के निकट झरम झरना स्थल पर सदियों से मकर संक्रांति के अवसर पर मेला का आयोजन होता रहा है। जहां संथाल साफाहोड़ समाज के लोग उड़ीसा, बंगाल, बिहार, आसाम तथा झारखण्ड के विभिन्न अंचलों से हजारों की संख्या सपरिवार गरम झरना स्थल पहुंच कर पवित्र स्नान कर भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पण कर अपने गुरु बाबाओं के उपस्थिति में तुलसी, त्रिशुल गाड़ कर संथाली धार्मिक गीत, संगीत व नृत्य से भगवान भोलेनाथ आदि माता पार्वती व देव देवियों की पूजन उपवास रह कर।मंगल कामना कर संतुष्ट होते हैं।
इस साल भी काफी संख्या में साफाहोड़ समाज के भक्तों ने गर्म कुंड में स्नान कर भगवान की अर्चना की। वहीं दो दिवसीय मेला प्रांगण में मिष्ठान, होटल, स्टेश्ननरी दुकानों के अलावे मनोरंजन के लिए इलेक्टीकतारामाची, ब्रेकडांस, बच्चों की रेल आदि एवम रात्रि को संथाल ड्रामा का आनंद लोगों ने जी भर कर लिया। मेला में पाकुड़िया थाना प्रभारी की देखरेख में मेला परिसर में पुलिस पेट्रोलिंग कर शांति बनाये रखा। मेला में अग्निशामक भी रही ताकि आग लगने पर काबू पाया जा सके। मकर संक्रांति के शुभावसर पर आयोजित होने वाले गर्म झरना मेला, पूर्णतः शांत माहोल में सम्पन्न होता रहा है। यद्यपि समय के साथ पुलिस बल की तैनाती भी रहती है ताकि शांत वातावरण में मेला सम्पन्न हो।
उक्त मेला सामाजिक समरसता का प्रतीक रहा है और इसकी गरिमा मर्यादा को बनाते रखना सबों का कर्तव्य भी है। बहरहाल पूरे शांत वातावरण में मेला का समापन 15 जनवरी को हो गया। फिलहाल किसी प्रकार की घटना आदि की सूचना नहीं मिली है।