30 अक्टूबर को मनरेगाकर्मी करेंगे मंत्री आलमगीर आलम के आवास का घेराव, मांग पूरी नहीं होने पर 16 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल
संवाददाता : रांची
सेवा नियमितीकरण सहित 10 सूत्री मांगों को लेकर राज्यभर के करीब 5600 मनरेगाकर्मी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। अपने आंदोलन के अगले चरण में सोमवार 30 अक्टूबर को राज्यभर के मनरेगाकर्मी ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आवास का घेराव करेंगे। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के बैनर तले होने वाले इस प्रदर्शन की तैयारी पूरी कर ली गई है। संघ से मिली जानकारी के अनुसार राज्यभर के मनरेगाकर्मी इसमें शामिल होंगे। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जॉन पीटर बागे ने कहा कि राज्य सरकार मनरेगाकर्मियों की लगातार उपेक्षा कर रही है। जो वादे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया था उसे पूरा नहीं किया जा रहा है।
इसलिए राज्यभर के मनरेगाकर्मियों को आंदोलन करने और विभागीय मंत्री काआवास घेरने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य के मनरेगाकर्मियों की ये हैं मुख्य मांग कि मनरेगाकर्मियों की सेवा हिमाचल और राजस्थान की तर्ज पर स्थाई की जाए। सेवा स्थाई होने तक लेबर डिपार्टमेंट से निर्धारित वेतन और उसमें 10% प्रति वर्ष की बढ़ोतरी का प्रावधान हो। मनरेगाकर्मियों को सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिया जाए।
बेवजह मनरेगाकर्मियों को प्रताड़ित करने पर रोक लगे और बात-बात पर मनरेगाकर्मियों की बर्खास्तगी की परंपरा बंद कर पूर्व में बर्खास्त मनरेगाकर्मियों को पुनः बहाल किया जाए। राज्य में सरकारी नौकरियों में बहाली के समय रोजगार सेवकों की उम्र सीमा में छूट दी जाए। महिला मनरेगाकर्मियों को सवैतनिक मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाए। राज्यभर के मनरेगाकर्मियों का ईपीएफ वर्ष 2018 से काटा जाए। मनरेगाकर्मियों के लिए बॉयोमैट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त की जाए। मनरेगा सामाजिक अंकेक्षण सिर्फ ग्राम सभा द्वारा चयनित लोगों से कराया जाए। मनरेगाकर्मियों की सेवा स्थानीय प्रखंड में ही सुनिश्चित की जाए।
30 अक्टूबर 2023 को राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के एचईसी स्थित सरकारी आवास के घेराव के बाद भी मांगें पूरी नहीं हुई तो आगामी 16 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर मजदूरों ने जाने का निर्णय लिया है। राज्य में वर्तमान में 4500 रोजगार सेवक हैं और अन्य कर्मियों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 5600 है। मनरेगाकर्मियों के आंदोलन और संभावित हड़ताल का असर राज्य में ग्रामीण विकास के साथ-साथ रोजगार पर पड़ना स्वभाविक है।