चंदनकियारी की नीतू अपने अंदर की ज्वार भर रही भावनाओं को कविता के माध्यम से करती हैं व्यक्त
हजारीबाग
नवरात्र का पवित्र त्यौहार चल रहा है। ऐसे में समाज की एक मातृशक्ति से आपको परिचय करा रहें है जिसने अपने पिता की व्यथा और उनकी याद में अपने अंदर की ज्वार भर रही भावनाओं को कविता के माध्यम से व्यक्त करके अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यूं तो कहा जाता है की मातृशक्ति ममता और क्षमता से परिपूर्ण होती है लेकिन बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड की एक बेटी नीतू कुमारी ने अपने आंतरिक भावनाओं के उद्गार से जो साहित्यिक अभिव्यक्ति की है उससे कविताओं का एक विशाल संग्रहण उनके डायरी में हो गया है। नीतू ने फ़ौजी, किसान, बेटी सहित समाज के कई ज्वलंत विषयों पर अपने लेखनी के धार से शब्दों की माला गुथी है। उनकी फौजी पर लिखी कविता उम्र में बहुत छोटी हूं, मगर एक सपना है, मुझे भी फौजी बनना है…किसान पर लिखी कविता घुटने तक धोती लपेटकर और कंधे पर एक गमछा लेकर, निकल पड़े सूरज के साथ-साथ, थामे एक छोटे से बर्तन में लेकर अन्न का हाथ..कविता लोगों ने खूब पसंद की है ।
नीतू मूलतः चंदनकियारी नीचे बाजार की रहने वाली है। इनका शादी चास में हुआ है। नीतू ने अपनी 10 वीं और 12 वीं की पढ़ाई +2 उच्च विद्यालय, चंदनकियारी से और स्नातक की पढ़ाई स्वामी सहजानंद महाविद्यालय, चास से की है। नीतू रहती है कि उन्हें कविता लिखने का जुनून पिता की प्रेरणा से प्राप्त हुई। उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटी एक अच्छी कवि बनकर समाज की बुराइयों और ज्वलंत विषयों पर कविता के माध्यम से लोगों को जागृत करें। नीतू ने पिता की भावना के अनुरूप जैसे ही कविता लेखन का कार्य शुरू किया पहले पिता की आंखों की रोशनी चली गई और फिर उनके पिता कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए। अब उनके पिता स्व.दुर्गा डे अब इस दुनिया में तो नहीं रहें लेकिन उनके अरमान को पूरा करने में उनकी सुपुत्री नीतू लगातार मशक्कत कर रही है और अपनी लेखन कला को धार देते हुए कविता संग्रहण को बढ़ावा दे रही है। नीतू बताती हैं की उनके पति विजय कुमार भी उन्हें कविता लेखन कार्य में भरपूर सहयोग करते हैं और प्रोत्साहित भी करते हैं ।
नीतू जैसी अनेकों बेटियां हैं जिनकी प्रेरक कहानी हमें विपरीत परिस्थिति में भी अपने हुनर का जादू बिखरने को प्रोत्साहित करती हैं ।