May 18, 2024
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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 32 वें स्थापना दिवस पर राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को पढ़ाया शिष्टाचार का पाठ, जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने की दी सीख

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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के 32 वें स्थापना दिवस पर राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को पढ़ाया शिष्टाचार का पाठ, जनप्रतिनिधियों को सम्मान देने की दी सीख

हजारीबाग विधायक का कार्यक्रम स्थल में जगह निर्धारित नहीं होने पर मंच पर बैठवाया, अपना सम्मान भी उन्हें किया भेंट

संवाददाता : हजारीबाग

रविवार को विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में 32 वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के महामहिम राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन शामिल हुए। सामारोह में विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से कई जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन सामारोह स्थल में उनके बैठने का कोई माकूल इंतजाम नहीं किया गया। समारोह में जब हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल पहुंचे तो उन्होंने अपना कोई निर्धारित बैठने का स्थान नहीं देख एक कोने में जाकर बैठ गए। तब मंच पर बैठे राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने स्थिति को भांपकर आयोजन कर्ताओं को उन्हें मंच पर लाने का निर्देश दिया। फिर विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें मंच पर बैठाया गया।

मंच पर जब सामारोह के स्मृति चिन्ह और सम्मान की बारी आई तो आयोजक समिति द्वारा सीधे राज्यपाल का सम्मान कर दिया गया। उस वक्त राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने अपने सम्मान में मिले अंग- वस्त्र और मोमेंटो हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल को भेंट कर दिया और आयोजन कर्ताओं को कुछ न कहते हुए अपने इस कार्य से चोटाने का कार्य किया। मंच से अपने संबोधन के द्वारा भी उन्होंने चुने हुए जनप्रतिनिधियों के सम्मान में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए इस बात का सीख विश्वविद्यालय प्रबंधन को दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को शिष्टाचार का पाठ पढ़ाया और किसी भी कार्यक्रम में प्रोटोकॉल का ध्यान रखने की सीख दी। सामारोह में विधायक मनीष जायसवाल के अलावे हजारीबाग के पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता भी पहुंचे थे। उनके लिए भी पूर्व से कोई निर्धारित स्थल नहीं था।

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अब देखना यह है की आने वाले भविष्य में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के द्वारा पढ़ाया हुआ पाठ विश्वविद्यालय प्रबंधन को भाता है या नहीं। आगे वे अपने कार्यक्रमों में इसे अमल में लाते हैं या नहीं। लोकतंत्र में सरकारी अधिकारी से ऊपर चुने हुए जनप्रतिनिधि होते हैं ऐसे में उनका सम्मान जरूरी होता है। कुछ भी हो स्थापना दिवस समारोह के दौरान राज्यपाल के किसी जनप्रतिनिधि के प्रति इस सहृदयता और विश्वविद्यालय प्रबंधन को पढ़ाए गए शिष्टाचार के पाठ की चर्चा खूब हुई।

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