शिक्षक के लापरवाही के कारण, छात्र के मौत के बाद शव लेकर पहुंचे विद्यालय, किया तालाबंदी
शिक्षक कम झोलाछाप डॉक्टर को गिरफ्तारी का कर रहे मांग
शिक्षक के बैग में बुक के जगह रहती है दवा व आला, फोन आते इलाज करने हो जाते हैं रफूचक्कर
चौपारण : विजय मधेशिया
चौपारण थाना क्षेत्र के उत्क्रमित प्राथमिक स्कूल ब्रजादास लखावर में अध्ययनरत छात्र रिशु के सर्प दंश से मौत पर स्कूल में मंगलवार सुबह 7 बजे से ताला बंदी कर दिया है। धरना-प्रदर्शन के साथ परिजनों का कहना है कि शिक्षक छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में लगाए रखते तो वह इधर-उधर क्यो भटकते। भीड़ में लोगो ने कहा कि शिक्षक मो शालिश पठन-पाठन का काम कम और झोलाछाप डॉक्टर के रूप में ज्यादा प्रचलित है। मो शालिश स्कूल आते है तो उनके बैग में पठन-पाठन का बुक के जगह मरीजो का इलाज का दवा-सुई रहता है। स्कूल के समय मे कही से फोन आता है तो वे बच्चों को क्लास में छोड़ कर इलाज करने मरीज के घर चला जाता है। ऐसे शिक्षक को पढ़ाई-लिखाई से बाहर कर देना चाहिए।
क्या है मामला : ग्राम अमरोल स्थित धवईया के भुवनेश्वर भुइयां के 8 वर्षीय पुत्र रिशु कुमार सोमवार को स्कूल गया। स्कूल से छात्र रिशु निकला और 11 बजे दिन में महुआ के पेड़ पर सर्प ने डंस लिया। जिससे रिशु के हाथ से खून निकलने लगा। छात्र रिशु स्कूल में वापस आ गया। यह देख स्कूल के शिक्षक मो शालिश ने अपने बैग से दवा निकाल कर छात्र रिशु कुमार के हाथ से निकल रहा खून को साफ किया और मलहम पट्टी कर स्कूल में ही छुट्टी होने तक रखे रहा। छुट्टी होने पर रिशु घर गया तो वह बेहोश होने लगा। यह देख परिजनों ने शिक्षक व अन्य छात्रों से पूछताछ किया। तो पता चला कि रिशु तोता निकालने के ख्याल से एक महुआ पेड़ के खौंधे (घोंसला) में अपना बायां हाथ डाला ही था कि अंदर से हाथ मे कुछ काटने का एहसास हुआ। हाथ बाहर निकाला तो उससे खून निकलने लगा था तो वह भाग कर स्कूल पहुंचने की जानकारी मिली। यह जानकारी मिलते ही आनन फानन में परिजनों ने उसे इटखोरी अस्पताल ले गया। मामला बिगड़ता देख चिकित्सकों ने प्राथमिक इलाज के बाद बेहतर इलाज के लिए उसे हजारीबाग सदर अस्पताल रेफर कर दिया। जहां इलाज के दौरान रिशु की मौत हो गई।
मालूम हो कि उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ब्रजादास लखावर में दो शिक्षक हैं। जिसमें प्रधानाध्यापिका राखी देवी एवं सहायक शिक्षक मो शालिश के रूप में कार्यरत है। शिक्षक बच्चे के हाथ से निकल रहे खून का कारण का जानकारी लेते और समय रहते बच्चे का इलाज करने के लिए अस्पताल भेजवा देते तो हो सकता है कि वह जीवित रहता और स्कूल में ताला बंदी नही होती।