November 2, 2024
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केंद्र की मोदी सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर हजारीबाग जिला कांग्रेस कमेटी ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

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केंद्र की मोदी सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर हजारीबाग जिला कांग्रेस कमेटी ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस
संवाददाता-कृष्णा कुमार

हजारीबाग: केंद्र की मोदी सरकार के आठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर के निर्देशानुसार जिला कांग्रेस कार्यालय, कृष्ण वल्लभ आश्रम, हजारीबाग में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसे प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ राकेश किरण महतो ने संबोधित किया| इस संवादाता सम्मेलन की अध्यक्षता जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने किया । इस अवसर पर कार्यकारिणी के सदस्य अशोक देव उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता निसार खान उपाध्यक्ष लाल बिहारी सिंह, गोविंद राम महामंत्री संजय तिवारी, कुमार रजनीश, के.डी. सिंह, भैया असीम कुमार, सलीम रजा, देवधारी प्रसाद मेहता आदि कांग्रेसजन उपस्थित थे।

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संवाददाता सम्मेलन का मुख्य बिन्दु:-

आठ वर्षों से हो रही सिर्फ बात ही बात
भाजपा ने किया जनता के साथ विश्वासघात
28 मई को केंद की भाजपा सरकार आठ वर्षों का सफर पूरा करने के उपरांत नौवें वर्ष में कदम रखेगी, अपनी उपलब्धियों का बखान भी किया जाएगा पर एक सजग राजनैतिक विपक्ष होने के दायित्व के साथ काँग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार आईना दिखाना आवश्यक समझती है।
आज आठ वर्षों के बाद पूरा देश नफरत एवं डर के वातावरण में जीने को मजबूर हैं। धर्मांधता-रूढ़िवादिता का अंधकार फैलाया जा रहा है। अल्पसंख्यक वर्गों, ख़ास तौर से मुस्लिम, ईसाइयों व सिखों को निशाना बना रखा है। समाज में विभाजन के बीज बो कर व तुष्टिकरण की इस राजनीति को आधार बना भाजपा चुनावी जीत तलाशती है।
चुनाव में अब तरक्क़ी विकास, सड़क, स्कूल, शिक्षा, अस्पताल, उद्योग, रोज़गार, खेती, बढ़ोत्तरी मुद्दे नहीं रह गए हैं। भाजपा प्रायोजित मुद्दे हैं- श्मशान-क़ब्रिस्तान, बुलडोज़र, लाउडस्पीकर, गर्मी निकालना, मंदिर बनाम मस्जिद बनाम गिरिजाघर बनाम गुरुद्वारा, सड़कों के नाम बदलना, खाने-पहनने के नाम पर समाज का बँटवारा आदि। दुर्भाग्य यह है कि नफ़रत की इस खेती परोसने में भाजपा द्वारा मीडिया के एक बड़े वर्ग का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

देश व देशवासियों के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है।
 क्या देश ऐसे चल सकता है?
 क्या देश ऐसे तरक्क़ी कर सकता है?
 क्या देश ऐसे आगे बढ़ सकता है?
 क्या भविष्य के भारत का निर्माण धार्मिक, जातिगत व आर्थिक बँटवारे पर होगा ?
 क्या यह गाँधी-नेहरू-पटेल-बोस-तिलक-अंबेडकर-मौलाना आज़ाद-राजेंद्र प्रसाद-भगत सिंह-बिस्मिल-अश्फ़ाक आदि करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत है?
 पिछले आठ वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार की सबसे उपलब्धी यही रही है कि राज्यों में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयीं गैर भाजपा सरकारों को अपदस्थ करने के लिए केंद्रीय एजेन्सियों का ज्यादा से ज्यादा दुरूपयोग किया जा रहा है।
 देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के चलते 142 सबसे बड़े अमीरों की सम्पति तो एक साल में 30 लाख करोड़ बढ़ गई पर देश के 84 प्रतिशत घरों की आय घट गई। 15 लाख हर खाते में आना तो दूर, बचत का पैसा भी लुट गया।
 गर्त में गिरती अर्थव्यवस्था के चलते 1 अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले हमारे रुपये की क़ीमत गिर कर 77.56 हो गई, जो 75 साल में सबसे बड़ी गिरावट है। दूसरी और देश का क़र्ज़ साल 2014 में 55 लाख करोड़ से बढ़ कर साल 2022 में 135 लाख करोड़ हो गया। मोदी सरकार हर रोज़ 4,000 करोड़ का क़र्ज़ लेती है। देश के हर नागरिक पर 1,00,000 का क़र्ज़ है।
 मोदी सरकार में आमदनी गुम महंगाई ‘बूम पर है।
 पहले लूट फिर छूट की नीति पर काम कर रही है केन्द्र सरकार।
 महंगाई ने आम जनजीवन नर्क बना दिया है। साल 2014 में 410 में मिलने वाला रसोई गैस सिलेंडर अब 1,000 का हो गया; पेट्रोल 71/लीटर था, जो 21 मई तक 108.71 था आज 99.84/लीटर हो गया; डीज़ल 56/लीटर था, जो 21 मई तक 102.02/लीटर था, जो आज 94.65/लीटर हो गया। अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगा मोदी सरकार ने तो 27 लाख करोड़ कमाये, पर जनता को क्या मिला? यही हाल आटा, दाल, खाने का तेल, सब्ज़ी, साबुन, टूथपेस्ट, टीवी फ्रिज और रोज़ ज़रूरत की हर वस्तु का है।
अबकी बार, महिलाओं की रोज़ी पर मार
आठ वर्षों से मोदी सरकार में लगातार है जारी. .
बेतहाशा महंगाई के साथ बढ़ती बेरोजगारी
ऽ 5 साल में 1,25,00,000 महिलाओं का रोजगार छीना।
ऽ पिछले 4 महीने में 25,00,000 महिलाओं ने रोजगार खोया।
ऽ अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी महज़ 18ः रह गयी।
ऽ केवल 9 प्रतिशत महिलाओं को ही रोजगार की उपलब्धता हुई है।
देश में बेरोज़गारी की दर 8 प्रतिशत से अधिक है। भारत सरकार, सरकारी उपक्रमों व प्रांतीय सरकारों में मिलाकर 30 लाख से ज्यादा पद ख़ाली पड़े हैं। सेनाओं में 2,55,000 पद ख़ाली हैं। निजी क्षेत्र में लघु और छोटे उद्योग तालाबंदी की कगार पर हैं। 2 करोड़ रोज़गार हर साल देना तो दूर, करोड़ों रोज़गार चले गए हैं।
 किसान व खेती को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने का षड्यंत्र जारी है। पहली बार खेती उपकरण पर जीएसटी लगाया गया, खाद हो, ट्रैक्टर व खेती के उपकरण हों, कीटनाशक दवाई हो। खाद की सब्सिडी काटी जा रही है और डीएपी व यूरिया की क़ीमतें आसमान छू रही है। एमएसपी गारंटी क़ानून पर चर्चा ही नहीं। मनरेगा का बजट काट दिया है। किसान की आय साल 2022 तक दुगना होना तो दूर, उपज की क़ीमत भी नहीं मिल रही।
 दलित व आदिवासी सब प्लान ख़त्म कर दिया गया। उनके आरक्षण व दलित पक्षधर क़ानूनों पर हमला बोला जा रहा है। सरकारी उपक्रम बेच कर दलितों व पिछड़ों का आरक्षण ख़त्म किया जा रहा है। दलितों पर अत्याचार चरम सीमा पर है। यहां तक कि दलित कल्याण को टारगेटेड केंद्रीय योजनाएं कुल बजट का मात्र 4.4प्रतिशत रह गई हैं। अब तो केंद्र सरकार पिछड़े वर्गों की संख्या का सेन्सस तक जारी करने से इनकार कर रही है।
 देश की भूभागीय अखंडता पर हमला बोला गया है। चीन ने दुस्साहस कर लद्दाख़ में भारत माता की सरज़मीं पर क़ब्ज़ा कर रखा है। अरुणाचल की सीमा पर अतिक्रमण कर चीन आए दिन नये ठिकाने बना रहा है। डोक़लाम में चीन द्वारा किए नए सड़क निर्माण, तोपख़ाने व सैनिक ठिकानों का निर्माण हमारी अखंडता को सीधी चुनौती है। पर मोदी सरकार चीन को हमारी सरज़मीं से वापस खदेड़ने में असक्षम साबित हुई है। सरकार केवल चीनी ऐप बैन कर झूठी वाहवाही लूट रही है और उल्टा चीन से वस्तुओं का आयात बढ़कर 97 बिलियन डॉलर हो गया है।
आठ वर्षों में झारखंड के साथ सिर्फ उपेक्षात्मक रवैया रखते हुए झारखंड में कभी डबल इंजन की सरकार के नाम पर कभी घोषणाओं के नाम पर सिर्फ और सिर्फ विश्वासघात हुआ है।
झारखंड का केंद्र सरकार पर करीब 1-36 लाख करोड़ बकाया है। यह राज्य का अधिकार है ।
एक तरफ झारखण्ड को लेकर संवेदनशील होने का दावा किया जाता है पर राज्य ने केंद्र को हो, मुंडारी, कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्तावभेजा था सरना धर्म कोड का प्रस्ताव भेजा था, आज तक इसका भी समाधान नहीं हो पाया क्या यही संवेदनशील रवैया है।
वैश्विक महामारी के काल में भी राज्य को सहयोग के बजाय उपेक्षित रखने का हर मुमकिन कोशिश जारी रखी गयी जो लोगों ने देखा डी वी सी के बकाया को केंद के द्वारा मिलने वाले राशी से कटौती कर आवंटन देना इसका स्पष्ट प्रमाण है।

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