गौतम बुद्ध शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में लेक्चर सीरीज का तीसरा दिन
पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन में पक्षियों की अहम भूमिका : मुरारी सिंह
आईबीसीएन के कार्यकर्ता सह बर्ड एक्सपर्ट ने दी पारिस्थितिकी संतुलन की जानकारी
व्याख्यानमाला में लगी पक्षी विशेषज्ञ की विजुअल पाठशाला
संवाददाता : हजारीबाग
गौतम बुद्ध शिक्षण प्रशिक्षण कॉलेज मुकुंदगंज, हजारीबाग में बुधवार को छह दिवसीय लेक्चर सीरीज (व्याख्यानमाला) के तीसरे दिन बतौर अतिथि इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के कार्यकर्ता सह नियो ह्यूमन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष और पक्षी विशेषज्ञ मुरारी सिंह ने विजुअल पाठशाला में कई महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन में पक्षियों की अहम भूमिका पर चित्रों के माध्यम से विस्तार से अपना विचार साझा किया। साथ ही पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों उनके रहन-सहन, खान-पान, व्यवहार और पारिस्थितिकी संतुलन में उनके योगदान पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पक्षियों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। दुनिया के 13% बर्ड भारत में हैं। दुनिया में कुल 9000 चिड़ियों की प्रजातियां हैं। झाड़ियों में चिड़ियों की 10 प्रजातियां वास करती हैं। चिड़ियां संस्कृति, धर्म और घर-आंगन के परिवेश में रची बसी हैं। चिड़ियां पौधों के जीवन के वाहक हैं। उन्हें सुरक्षित और संरक्षित कर हम पर्यावरण का संरक्षण और संवर्द्धन कर सकते हैं। पौधों में वैसे कीटनाशक का प्रयोग नहीं करें, जिसका भक्षण कर पक्षी मर जाएं।
प्लास्टिक और पॉलिथिन के इस्तेमाल से पशु-पक्षियों की जान चली जाती है। उन्होंने वाया वीवर पक्षी के बारे में बताया कि किस प्रकार वह कुशल अभियंता है और अपना घोसला तैयार कर तापमान को नियंत्रित करता है। उन्होंने गिद्धों की नौ प्रजातियों का वर्णन करते हुए बताया कि सिर्फ हजारीबाग में उनकी पांच प्रजातियां हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड में इंपोर्टेंड बर्ड एरिया में हजारीबाग, डाल्टनगंज, कोडरमा, साहेबगंज, धनबाद, चतरा और सरायकेला को रखा गया है। वन्य जीवन संरक्षण के कार्यकर्ता सह वरिष्ठ पत्रकार मुरारी सिंह ने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के लिए सम्मिलित प्रयास करने की जरूरत है और यह सबकी जिम्मेवारी भी है। उन्होंने कहानी के माध्यम से गौरेया, मैना, कौआ, धनेश, बत्तख, तोता, खंजन, गरूड़, गिद्ध समेत विविध देसी और विदेशी पक्षियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उनसे मानवीय जीवन और पर्यावरण को मिलनेवाले लाभ से भी सभी को अवगत कराया।
इससे पहले सहायक प्राध्यापिका कुमारी अंजलि ने अतिथि का परिचय कराते हुए उन्हें सम्मानित किया। मंच संचालन प्रशिक्षु प्रीति कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव ने किया। राष्ट्रीय गान के साथ व्याख्यान का समापन हुआ। लेक्चर सीरीज में आइक्यूएसी को-ऑर्डिनेटर डॉ बसुंधरा कुमारी, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ पुष्पा कुमारी, जगेश्वर रजक, महेश प्रसाद, एसएस मैती, अनिल कुमार, गुलशन कुमार, संदीप खलखो, डॉ दीपमाला, दशरथ कुमार, रचना कुमारी, दिलीप कुमार सिंह, संदीप कुमार सिन्हा समेत सभी प्राध्यापक और प्रशिक्षु मौजूद थे।