आईलेक्स पब्लिक स्कूल में डॉ भीमराव अम्बेडकर की मनाई गई पुण्यतिथि, दी गई श्रद्धांजलि
डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अन्याय के विरुद्ध विरोध करना सिखाया : शैलेश कुमार
संवाददाता : बरही
आईलेक्स पब्लिक स्कूल के सभी ब्रांचो में भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर बच्चों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए निदेशक शैलेश कुमार ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर का दर्जा दलितों के लिए किसी देवता से कम नहीं। उन्होंने अपने जीवन काल में दलितों के उत्थान के लिए कई ऐसे कार्य भी किए जिसकी वजह से दलित समाज के जीवन में एक नए सूर्य का उदय हुआ।
कलाराम मंदिर सत्याग्रह के बाद डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को इतना आभास हुआ कि उन्होंने कहा मैं हिंदू धर्म में पैदा जरूर हुआ था लेकिन हिंदू मरूंगा नहीं और यही कारण था कि उन्होंने अपने जीवन काल में बौद्ध धर्म को अपना लिया था। 6 दिसंबर 1956 को उनके प्राण पखेरू हो गए। एक गरीब परिवार में जन्मे डॉ भीमराव अंबेडकर ने बचपन से ही कई कठिनाइयों और सामाजिक कुरीतियों का सामना किया था।
डॉ भीमराव अंबेडकर बाल्य काल से ही निर्भीक स्वभाव के थे। बढ़ती उम्र के साथ उन्हें यह समझ आ गया था कि उन्हें इन कुरीतियों से सिर्फ शिक्षा की छाया ही बचा सकती है। यही कारण था कि उन्होंने अपने आपको सबसे पहले शिक्षा प्राप्त करने के लिए अग्रसर किया और फिर दलित के उत्थान में खुद को झोंक दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सभी ब्रांच के सामाजिक विज्ञान के शिक्षक बबलू कुमार, रवि सिंह, रिंकू कुमार और सौरभ कुमार ने अपने -अपने ब्रांच के अनुसार उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उसके बाद बच्चों ने भीमराव जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। विद्यालय के निदेशक शैलेश कुमार ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए बताया कि डॉ भीमराव अम्बेडकर के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें अन्याय के विरुद्ध चुप नहीं बैठना चाहिए बल्कि उसका खुलकर विरोध करना चाहिए। हमें समाज में प्रचलित कुरीतियों को आँख बन्द करके अपनाने के बजाय उनका विरोध करना चाहिए। व्यक्ति अपनी योग्यता एवं क्षमता से ही उच्च पद प्राप्त करता है एवं सम्मान पाता है।