राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कट्टर ब्राह्मण एवम आतंकवादियों का पोषक कहना भारत विरोधी तत्वों को प्रोत्साहित कृत्य:- मदन माधुर्य
झारखंड न्यूज़ 24
पाकुड़िया/पाकुड़
मदन प्रसाद
जागता झारखण्ड के 10 अक्टूवर में प्रकाशित लेख में क्रांतिकारी सिंह ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कट्टर ब्राह्मण वादी एवम आतंकवादियों का पोषक कहने पर पाकुड़िया के पूर्व खण्डकार्यवाह मदन माधुर्य ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इस कथन को भारत विरोधी तत्वों को प्रोत्साहित करना बताया। स्वयं सेवक ने जोर देकर कहा कि क्या राष्ट्रवाद को बढ़ावा देते हुए हिन्दु एकता की पहल करना कट्टर ब्राह्मण वाद और आतंकियों का पोषण करना है? सिंह लिखते हैं कि आरएसएस के गुप्त ऐजेन्डा को ही केन्द्र की मोदी सरकार दलितों, कमजोर वर्गों का शोषण करते हुए देश के 90 प्रतिशत गरीबों का शोषण 10% शोषित लोगों के बल पर कर रही है। सिंह कहते हैं, सरकार अडाणी व अंबानी को भरपूर सहयोग कर वंचितों का हक मार रही है। क्या देश की जनता नहीं जान रही है कि आरएसएस विश्व में सबसे बड़ा संगठन है और इसकी शाखाएं भारत के बाहर भी हैं। पर अब तक किसी देश में करता अराजकता पूर्ण कार्य किया है?सिंह को दिखाई नहीं पड़ता नरेन्द्र मोदी के 9 वर्षों के शासन काल में भारत की चौमुखी विकास तेजी से हुआ और देश में बेरोजगारी तथा गरीबों की संख्या तेजी से घटी है। भारत विश्व की 5आर्थिक महाशक्ति बन चुकी है। क्या सिंह ऐसे द्वेषपूर्ण भावना की मानसिकता रखने वाले व्यक्ति को विगत 60 सालों तक देश व सभी प्रांतों में एक छत्र राज्य करने वाली पार्टियों विशेष कर कांग्रेस से पूछने का साहस करेंगे कि उन्होंने हिन्दुओं को विभिन्न जातियों में बांटकर तुष्टि करते हुए देश की सामरिक प्रगति के कर्मों को बाधित किया? क्या भारत में साम्प्रदायिक दंगों नहीं हुए?भारत के जम्मू काश्मीर में मुस्लिम आतंकियों से हजारों हिन्दुओं पर अनगिनत अत्याचार नहीं किये गये। क्या सिंह ऐसे संस्कृति विरोधी व्यक्ति भारत को इस्लामिक देश बनाने वाले आईएएस के एजेन्टा चलाने के बारे तथा भारत में भारत विरोधी मजहबी नारे लगाने वालों की आलोचना करने का साहस है तो करें?
सिंह का कथन है कि इतिहास पढ़ने पर ज्ञात होता है कि कितना अत्याचार गरीबों पर किया गया है। सिंह ने कौन इतिहास पढा? केवल अंग्रेजों द्वारा लिखित तथा रोमिला थापर व प्रोफेसर इरफान का या फिर भारतीय संस्कृति या सनातन विरोधी, घोर वामपंथियों का लिखित इतिहास पढ़कर आप करता सनातन धर्म व संस्कृति को जान पायेंगे? श्री भगत ने आगे कहा है कि सिंह जी यदि आप सनातन संस्कृति के संदर्भ में जानना चाहते हैं तो आप को 15वीं या इस्वी सदी से पूर्व का लिखित साहित्य का गहन अध्ययन करना पड़ेगा। लेकिन आप तो ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि आप केवल द्वेष रखने में विश्वास करते हैं। भाषा मानव का वह संस्कार है जिसमें उसका राष्ट्रीय व मानवीय संस्कार छिपा होता है। सनातन या हिन्दु संस्कृति आध्यात्मिकता पूर्ण है और मानववादी होने के कारण जातिवादी न होकर सनातन परम्परा कर्म आधारित है। अब जो जाति तथा नेताओं द्वारा जाति गणना की बातें कही जा रहीहैं। इससे सनातनियों को छोड़ कर भारत को समग्र प्रगति को बाधित करने की कुचेष्टा है। श्री भगत ने कहा कि आरएस एस को जानना है तो संघ की शाखाओं में जाकर देखें। संघ भारत के प्रति तन मन से कैसा समर्पित है। संघ पर किसी सरकार ने अब तक प्रमाणिक तौर पर किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाया है। कारण कि संघ की कार्यशैली है राष्ट्रवाद को आधार मानकर भारत को वैभवशाली राष्ट्र बनाना। हिन्दु संस्कृति का प्रचार करना। किसी जाति साम्प्रदाय का विरोध नहीं। वह राष्ट्रीयता का परिचायक है और संस्कृति तो कोई धर्म या कर्मकांड नहीं है। वह एक राष्ट्रीयता पूर्ण जीवन शैली है जो किसी को आहत नहीं करता।