May 14, 2024
Jharkhand News24
प्रखंड

कपड़ा उद्योग का झारखंड में भी बहुत बढ़िया है भविष्य

Advertisement

कपड़ा उद्योग का झारखंड में भी बहुत बढ़िया है भविष्य

 

ऑर्डर एवं मजदूरों का सहयोग नहीं मिलने के कारण बड़कागांव के त्रिवेणी अप्रेयल बंद होने के राह पर

 

Advertisement

बड़कागांव रितेश ठाकुर

भारत का कपड़ा उद्योग फिलहाल एक बड़े संकट से जूझ रहा है, कपड़ा बनाने वाली और रेडिमेड कपड़े के निर्माण करने वाली कंपनियां बंद होने की कगार पर है,अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा। साउथ इंडिया होजरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार घरेलू बाजार को आपूर्ति करने वाली तिरुपुर होजरी विनिर्माण इकाइयों में से लगभग 40 प्रतिशत कंपनियाँ ऑर्डर की कमी के कारण बंद हो गई हैं।बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार को दिए ज्ञापन में एसोसिएशन की तरफ से कहा गया कि ऑर्डर में गिरावट के कारण तिरुपुर में कई इकाइयां उत्पादन बंद कर रही हैं।कपड़ा उद्योग में इस गिरावट के कई कारण बताये जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पिछले 6 वर्षों में बांग्लादेश से कपड़ों के आयात मूल्य में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने भी व्यापारियों की कमर तोड़ दी है… 2011 के बाद से ही कपड़ा क्षेत्र का वास्तविक उत्पादन मुश्किल से बढ़ा है, जबकि परिधान क्षेत्र में महत्वपूर्ण मंदी देखी गई है। बाहरी मोर्चे पर स्थिति और भी चिंताजनक है। 2014 के बाद कपड़ा क्षेत्र में हमारी वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 5.9% से घटकर 2020 में 4.6% और परिधान क्षेत्र में 3.9% से घटकर 2.9% हो गई है। परिधान निर्यात में बांग्लादेश और वियतनाम पहले ही हमसे आगे निकल चुके हैं। कपड़ा निर्यात में वियतनाम तेजी से भारत की बराबरी कर रहा है। ऐसे में भारतीय कपड़ा उद्योग और रेडिमेड कपड़ों के निर्माता मुश्किल दौड़ से गुजर रहे हैं। वास्तव में, भारत में मानव निर्मित कपड़ा क्षेत्र में प्रति श्रमिक उत्पादन भी नीचे गिर गया है। कपड़ा उद्योग का झारखंड में भी बहुत बढ़िया भविष्य नज़र नहीं आ रहा है। झारखंड के हजारीबाग में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के पकरी बरवाडीह कोल माइंस के प्रभावित महिलाओं के लिए सीएसआर के तहत वर्ष 2016 में त्रिवेणी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से महिलाओं को स्वालंबी बनाने के लिए एक कंपनी खोली गई ताकि महिलाओं को रोजगार का साधन मिल सके और वो अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन त्रिवेणी अप्रेयल भी बंद होने की कगार पर पहुँच गया है, इसकी वजह है कंपनी को बाहर से और्डर नहीं मिल पा रहा है, इस वजह से कंपनी को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, दूसरी तरफ कर्मियों के विरोध और बार बार वेतन वृद्धि की मांग ने भी कंपनी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब कंपनी इस यूनिट के काम काज को समेट ले। बता दें कि इलाके की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में इसका योगदान अहम है। इन उद्योगों में सर्वाधिक पैसा मजदूरों को वेतन देने में लगता है। झारखंड में गारमेंट इंडस्ट्री में 90 फीसद महिलाएं ही काम करती हैं। लेकिन जिस तरह से कंपनियां आर्थिक रूप से पिछड़ रही है जिसे शुभ संकेत तो नहीं माना जा सकता है।

Related posts

बरहेट में तेली समाज बैठक आयोजित, टीएसएस अध्यक्ष अरुण साहू हुए शामिल

jharkhandnews24

दुष्कर्म की अग्नि में जली 8 वर्षीय दलित बच्ची के परिजनों से मिले आजसू पार्टी देवघर कमेटी ने पदाधिकारी

jharkhandnews24

सड़क दुर्घटना में घायल महिला की इलाज के दौरान मौत. मुआवजा की मांग

hansraj

रामनवमी महापर्व को सफल बनाने में लगे सभी पदाधिकारी, संरक्षक व ग्रामीणों को अंगवस्त्र व मैडल देकर किया गया सम्मानित

jharkhandnews24

मुहर्रम त्यौहार को लेकर ईचाक थाना में शांति समिति की हुई बैठक सम्पन्न

jharkhandnews24

स्वयंसेवकों की बैठक संपन्न,, कमेटी का विस्तार,,, रांची में देंगे धरना

jharkhandnews24

Leave a Comment