कर्मियों के असहयोग से टूटी त्रिवेणी अपैरल की कमर, बंद होने की कगार पर पहुंची कंपनी
बड़कागांव
हजारीबाग बड़कागांव में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) पकरी बरवाडीह कोल माइंस के प्रभावित महिलाओं के लिए सीएसआर के तहत वर्ष 2016 में त्रिवेणी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से महिलाओं को स्वालंबी बनाने के लिए एक कंपनी खोली गई ताकि महिलाओं को रोजगार का साधन मिल सके और वो अपने पैरों पर खड़ी हो सके, लेकिन आज महिला कर्मियों की लगातार विरोध और आंदोलन की वजह से वह कंपनी बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक कर्मियों की अनुचित मांग की वजह से कंपनी स्वातः बंद होने की कगार पर पहुँच गई है। इसका मुख्य कारण कर्मियों का लगातार असहयोग और कंपनी कार्य में लगातार बाधा पहुंचाने का सिलसिला जो लाख प्रयासों के बावजूद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। टीएसएमपीएल अब थक-हारकर त्रिवेणी अपैरल को बंद करने पर विचार कर रही है। एनटीपीसी के लिए कोयला खदान का काम शुरू हुआ तो इलाके से सैकड़ों परिवारों को विस्थापित होना पड़ा। कंपनी ने तब उन परिवारों को उचित मुआवजा और आवास तो दिया ही, उनके रोजगार की भी चिंता की। इसी के तहत एनटीपीसी की एमडीओ त्रिवेणी सैनिक प्राइवेट लिमिटेड ने विभिन्न उपायों के साथ ही इलाके में एक रेडिमेड कपड़े बनाने की फैक्ट्री की शुरुआत की। त्रिवेणी अपैरल में विस्थापित परिवारों की करीब दो सौ महिलाओं को आमदनी का जरिया मिला। इस कंपनी में न सिर्फ कंपनी की अपनी खपत के बल्कि बड़े-बड़े ब्रैंड के भी कपड़े तैयार होते हैं। कंपनी ने महिला कारीगरों की सुविधा के लिए उन्हें घर से फैक्ट्री और फैक्ट्री से घर तक छोड़ने के लिए एसी बस की व्यवस्था की। पूरा मकसद महिलाओं को एक बेहतरीन और सुखमयी जीवन प्रदान करना था, लेकिन इन कर्मियों ने बाहरी उकसावे में आकर कंपनी के खिलाफ ही कदम उठाने लगे। रोज-रोज की हड़ताल, हो-हंगामे के बावजूद कंपनी उन्हें समझा-बुझाकर काम पर लाती रही। त्रिवेणी अपैरल का काम चल रहा है तो महिलाओं को घर परिवार में यहां से मिले आय से अच्छी-खासी मदद मिल जा रही है। कंपनी ने खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, लेकिन पता नहीं इनकी खुशियों को किसकी नजर लग गई। अब त्रिवेणी अपैरल कभी भी बंद हो सकती है। उक्त आशय की जानकारी त्रिवेणी सैनिक के अधिकारियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है।