जे एम कॉलेज मे छात्रों को पूर्वजों को पहचानने हेतु किया गया गोष्ठी का आयोजन
शिव शंकर शर्मा
इचाक : वंचितों के मसीहा, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षक छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के शुअवसर पर जगन्नाथ महतो इंटर महाविद्यालय उरुका इचाक में बच्चों के बीच अपने पूर्वजों को जानने तथा पहचानने के उद्देश्य से निबंध तथा विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । उत्कृष्ट विचार रखने वाले बच्चों को महाविद्यालय प्रबंधन के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। विचार गोष्ठी में अपना उम्दा विचार रखने के लिए साक्षी कुमारी को प्रथम शालिनी कुमारी द्वितीय तथा शुभम कुमार को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ. भारत में एक से बढ़कर एक समाज सुधारक होने का दावा किया जाता है. हम बात कर रहे हैं ब्रिटिश काल की, जिसमें अनगिनत समाज सुधारकों को फलने फूलने का मौका मिला।सवर्ण समाज सुधारक अपने जाति में प्रचलित बुराईयों और कुप्रथाओं को दूर करने के लिए आंदोलन चला रहे थे।राजा राम मोहन रॉय सती प्रथा पर पाबंदी लगाने में ख्याति अर्जित कर चुके थे। बंगाल के अन्य कई समाज सुधारक शिक्षा, संस्कृत और धर्म के क्षेत्र में नाम कमा रहे थे।हर समाज सुधारक का अपना अपना कार्य क्षेत्र था. कोई अपनी जाति को ब्रिटिश साम्राज्य के करीब दिखाने के लिए दावा कर रहा था आर्यन्स आर्कटिक से आएं है।तो दूसरी ओर दयानंद सरस्वती दावा कर चुके थे आर्यन्स की जन्मभूमि तिब्बत है।कुछ समाज सुधारकों ने सत्ता पर दावा मजबूत करने के लिए सभी वर्णों को मिलाकर बहुसंख्यक हिन्दु बताना शुरू किया।शूद्रों और अछूतों को हिन्दू बनाने की इस प्रक्रिया में कई समाज सुधारक छुआछूत मिटाने के लिए आंदोलन चलाकर ख्याति प्राप्त करते हैं।लेकिन इस दौर में एक भी ब्राह्मण या कायस्थ समाज सुधारकों ने जाति वर्ण व्यवस्था मिटाने और नौकरियां पर ब्राह्मण वर्चस्व के मुद्दे पर मुंह बंद रखा।ब्राह्मणों और ब्राह्मण वर्चस्ववादी व्यवस्था को चुनौती देने वाले महात्मा ज्योतिबा फूले और डॉ बाबा साहेब आंबेडकर के मध्य में कोल्हापुर रियासत के छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने राज्य में ब्राह्मण वर्चस्व को कड़ी चुनौती प्रदान की। कोल्हापुर रियासत के प्रशासनिक सेवाओं में 71 उच्च पदों में से 60 पर ब्राह्मणों का कब्ज़ा था। 500 क्लर्कों में से 490 ब्राह्मण थे। छत्रपति शाहूजी महाराज ने साल 1902 में पिछड़े वर्ग के लिए 50% आरक्षण लागू कर नौकरियों में ब्राह्मण वर्चस्व को ध्वस्त कर दिया। डॉ आंबेडकर ने आरक्षण जैसी प्रतिनिधित्व व्यवस्था की प्रेरणा यहीं से मिली थी।