May 18, 2024
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राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना जनसंवाद यात्रा, सिंघरावां में वक्ताओं का हुआ संबोधन

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राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना जनसंवाद यात्रा, सिंघरावां में वक्ताओं का हुआ संबोधन

झारखंड की मौलिक पहचान और विशिष्टता खतरे में : संजय मेहता

नेतृत्वकर्ताओं का नहीं है माटी से भावनात्मक लगाव

संवाददाता : बरही

बरही से 1 मई से शुरू हुई जनसंवाद यात्रा अब राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आ गया है। नुक्कड़ सभाओं में अब आम जनों को भीड़ उमड़ने लगी है। जनसंवाद यात्रा की नींव रखने वाले संजय मेहता और भुनेश्वर यादव लगातार आम जनों को संबोधित कर रहे हैं। वक्ता यात्रा के उद्देश्यों से लोगों को अवगत करा रहे हैं। यात्रा में मुख्य तौर पर स्थानीय नेतृत्व और झारखंड के हक अधिकारों की बात हो रही है। यात्रा के माध्यम से अब तक पिछले 17 दिनों में 26 छोटी – बड़ी सभाओं का आयोजन किया जा चुका है। जनसंवाद यात्रा के सिंघरावां पहुँचने पर आम जनों ने स्वागत किया। नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए संजय मेहता ने कहा कि झारखंड सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं है। यह राज्य असंख्य बलिदान और संघर्ष से हासिल हुआ है। हमारे पुरखों ने इस राज्य को बनाने में वर्षों तक संघर्ष किया। संयुक्त बिहार के समय भी दक्षिण बिहार के इलाके के लोग शोषित-पीड़ित थे। यही कारण था कि छोटानागपुर और संथाल इलाके से अलग राज्य की एक आवाज निकली। यह क्षेत्र सांस्कृतिक, पारंपरिक, जीवनशैली की अनुपम मौलिकता और विशिष्टता को समेटे हुए है। झारखंड राजनीतिक तौर पर भी काफी समृद्ध राज्य रहा है। जयपाल सिंह मुंडा जैसे शख्शियत इसी धरती से संविधान सभा के सदस्य हुए। आज झारखंड के पूरा स्वरूप खतरे में है। विस्थापन को लेकर पुनर्वास की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। नियोजन को लेकर नियोजन की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। स्थानीयता को लेकर कोई स्पष्ट स्थानीय नीति नहीं है। झारखंड की नौकरी में झारखंडियों को प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है। नियुक्ति प्रक्रिया में स्पष्टता का आभाव है। राजनीतिक नेतृत्व में भी हकमारी हो जा रही है। कार्यपालिका, न्यायपालिका में झारखंड के लोग न के बराबर हैं। विधायिका का भी हिस्सा बाहर के लोग हड़प ले रहे हैं। ऐसे में इस राज्य के भोले – भाले लोग कहाँ जाएँगे। यह लड़ाई एक वैचारिक संघर्ष है। हम किसी से निजी लड़ाई नहीं कर रहे हैं। हमारा सवाल बस इतना है कि झारखंड की माटी पर झारखंडियों का पहला अधिकार है। इस अधिकार का अतिक्रमण 23 सालों से चल रहा है। अब यदि आवाज नहीं बुलंद किया गया तो झारखंड पूर्ण तौर पर चारागाह बन जाएगा।

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संजय मेहता ने कहा कि हम झारखंड और झारखण्डियत की भावना को जागृत कर एक राजनीतिक चेतना का अलख जगाने का संकल्प रखते हैं। भुनेश्वर यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि नेतृत्वकर्ताओं का माटी से भावनात्मक लगाव होना जरूरी है। यह लड़ाई इस बात की है कि हमारी माटी पर सारा अधिकार और हक बाहर के लोग मार लेंगे तो झारखंड के लोग कहाँ जाएंगे। श्री यादव ने कहा कि बरही से यह जन चेतना की आवाज हमलोग हर इलाके में लेकर जाएंगे। हम यह चाहते हैं कि नेतृत्व का कौशल इसी माटी से निकले। प्रतिभा की कमी हमारी धरती में नहीं है। हम सब झारखंड की धरती से नेतृत्व रखने की क्षमता रखते हैं। सभी लोगों को इसपर विचार करना होगा और इस बात पर आवाज बुलंद करनी होगी कि झारखंड के 81 विधायक और 14 सांसद इसी माटी से हों। इस अवसर पर सभा का संचालन करते हुए रवि सोनी ने कहा कि झारखंड की माटी को आवाज देने के लिए अब हर इलाके से एक आवाज देनी होगी। मजदूरों किसानों को एक होना होगा और हक की लड़ाई मिलकर लड़नी होगी। सभा में सत्तार अन्सारी, अल्लाउद्दीन अन्सारी, सफदर अन्सारी, हरियाली दुत दिनेश कुमार गुप्ता, राजेश यादव, सुरेंद्र यादव रामप्रवेश यादव, राजेश्वर सिंह विवेकानंद विवेक, अमित कुमार, योगेन्द्र यादव, उमेश दास कपिल राणा, कामदेव राणा, विरेन्द्र कुमार राणा, संतोष पाण्डेय, कुणाल यादव सहित सैकडो युवा साथी एवं बड़े बुजुर्ग उपस्थित थे।

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