May 14, 2024
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प्रखंड

माताजी आश्रम हाता के स्थापना का चावड़ा पहाड़ के साथ संबंध पर विशेष

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माताजी आश्रम हाता के स्थापना का चावड़ा पहाड़ के साथ संबंध पर विशेष

पोटका/पुर्वी सिंहभूम/झारखण्ड

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सुरेश कुमार महापात्रा की रिपोर्ट

पोटका-महान साधिका, श्रीरामकृष्ण शिष्या तथा वाक सिद्धा योगेश्वरी आनंदमयी माँ की तपो भूमि है चावड़ा पहाड़।

यहाँ एक तालाब है।यह चावरा पहाड़ के उपर में स्थित एक विशाल तालाब है।यह तालाब भूमि तल से करीब तीन किलोमीटर के ऊपर चावरा पहाड़ के चोटी पर स्थित है।इसी तालाब की चोटी पर माताजी आश्रम हाता की संस्थापिका महान साधिका,वाक सिद्धा, भगवान रामकृष्ण देव जी की शिष्या श्रीश्री योगेश्वरी आनंदमयी माताजी ने एक छोटी सी कुटिया बनाकर 12 बर्ष तक साधना करके सिद्धि प्राप्त की थी और अलौकिक आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त की थी।इस चावरा पहाड़ और तालाब को मुझे और माताजी आश्रम के भक्तजनो को देखने का मौका मिली है।मैं इस पुण्य भूमि में तीन बार जा चुका हूँ। अभी माताजी की कोई स्मृति अबशेष नहीं है शिवाय खंडहर भूमि के अलावे।ठाकुर जी के आदेश पर माताजी के परम भक्त चाईबासा के आशुतोष हुई और अतुलनी हुई के सहयोग से माँ योगेश्वरी ने सन 1938 को हाता में माताजी आश्रम की स्थापना की थी।उस समय माताजी आश्रम के मूल ठाकुर घर खपरा और मिट्टी की थी।भगवान रामकृष्ण की असीम कृपा और योगेश्वरी माँ और उनकी संन्यासी शिष्या रानुमा तथा रानुमा की शिष्या सुनीति माँ का आशीर्वाद और भक्तजनों की सहयोग से माताजी आश्रम में रामकृष्ण मंदिर 85 सालों के बाद बना, जिसकी प्रतिष्ठा बिगत 14 मार्च 2022 को धूमधाम से किया गया है।यह हम सभी भक्तजनो तथा इस अंचल के आम जनताओं के लिए गौरव और शौभाग्य की बात है। आज सचमुच माताजी आश्रम एक तीर्थ का रूप ले लिया है।अभी सालों भर छोटे,बड़े बिबिध धार्मिक,साहित्यिक,सांस्कृतिक,
समाज कल्याण और सेवा मूलक काम हो रहा है।इसके अलावे प्रतिदिन ठाकुर रामकृष्ण, माँ सारदा देवी,स्वामी विवेकानंद, योगेश्वरी और रानुमा कि पूजा सेवा हो रही है।प्रतिदिन संध्या आरती,भजन कीर्तन और रामकृष्ण कथामृत का भी पाठ हो रहा।आश्रम को और भी सजाना है इसलिए दाता दानी तथा भक्तजनो की सहायता की ली जा रही है।
माताजी आश्रम केवल एक आश्रम नहीं बल्कि एक सिद्ध पीठ और योगेश्वरी और रानुमा जैसी महान साधिकाओं का कर्मभूमि भी है।आओ हम सभी मिलकर इस धार्मिक धरोहर को रच्छा करें और विकास का काम करे। जय रामकृष्ण। जय माँ योगेश्वरी। जय रानुमा।जय सुनीति माँ। सुनील कुमार दे ने आगे अपील की है हम सभी इस धरोहर की रक्षा करें ताकि हमारे आगे की पीढ़ी इस शक्तिपीठ से ऊर्जावान एवं धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिले।

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