प्राचार्य पर कारवाई एक दिखावा।
विश्वविद्यालय कर रहा है राजभवन को गुमराह – चंदन सिंह
संवाददाता- कृष्णा कुमार
हजारीबाग – विनोबा भावे विश्वविद्यालय के द्वारा संत कोलंबा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.सुशील कुमार टोप्पो को राजभवन के आदेश का हवाला दे कर प्राचार्य पद से हटाते हुए उन्हें पैतृक विभाग भेज दिया गया है।प्राचार्य को पद से हटाने के लिए 2018 में बने नियम को आधार बना कर कारवाई की गई है जिसमें यह अंकित है की कोई भी १० दस वर्षों से अधिक समय अवधी तक प्राचार्य के पद पर बना नहीं रह सकता।ज्ञात हो कि यह नियम 2018 के बाद नियुक्त प्राचार्य पर लागू होगा ना की उनपर जिनकी बहाली 2018 से पूर्व की गई है।ज्ञात हो कि प्राचार्य डॉ.सुशील टोप्पो की बहाली डायसीस के द्वारा 2009 में की गई है।
वहीं अख़बार के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई की अब प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति भी कुलाधिपति कार्यालय यानी राजभवन ही करेगा।इन मामलों से यह प्रतीत होता है की महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने के लिए केवल यह निर्णय लिया गया है क्यूँकि माननीय न्यायालय इस मामले पर तुरंत रोक लगा देंगे।
इस सम्बंध में चंदन सिंह ने कुलाधिपति को आवेदन लिख कर बताया है की संत कोलंबा महाविद्यालय झारखंड का सबसे पुरानी संस्था में से एक है और यह एक सरकारी संस्था भी है परंतु फिर भी यहाँ के प्राचार्य नियुक्ति की प्रक्रिया अलग है,चंदन सिंह ने आग्रह किया है की अगर बदलना है तो इस ग़लत नियम को बदलें जिसमें सरकार से मद मिलने के बाद भी महाविद्यालय में बहाली किसी संस्था के द्वारा की जाती है,विश्वविद्यालय के पदाधिकारीयों ने राजभवन को ग़लत तथ्य दे कर गुमराह करने का काम किया है।अतः उनपर भी कारवाई करने का आग्रह राज्यपाल महोदय से किया है।