लू-सनस्ट्रोक से बचाव हेतु अनावश्यक धुप में न निकले,ज्यादा पानी पियें : डॉ आरसी मेहता
इचाक : गर्मियों में सनस्ट्रोक लू लगना आम बीमारी है तापमान बढ़ने से हमारे शरीर के द्रव पसीना के द्वारा निकल जाता है।पानी नमक सोडियम पोटैशियम की कमी हो जाती है जिससे सनस्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। लू लगने पर शरीर में गर्मी थकावट बार-बार जलन युक्त पेशाब होना जैसा लक्षण मिलता है। चिकित्सिया भाषा में शरीर का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बढने पर सेंट्रल नर्वस सिस्टम में जटिलता के कारण लू लगता है। यह बातें मेहता हॉस्पिटल के निर्देशक डॉ आरसी प्रसाद मेहता ने गर्मी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आम लोगों को सचेत करते हुए सुझाव दिया हैं। डॉ मेहता ने सनस्ट्रोक के लक्षण बचाव एवं उपचार संबंधी सुझाव दिए है। उन्होंने लू के लक्षण को बताते हुए लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारी दिए हैं। जैसे लू लगने पर मुंह सूखना बुखार उल्टी पैखाना चक्कर लगना सर दर्द, रुक-रुक कर जलन युक्त पेशाब होना शरीर का तापमान बढ़ना है। लू लगने से आंखों में जलन चक्कर लगना बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर घटना लिवर किडनी में सोडियम पोटेशियम का संतुलन बिगड़ना इसके अतिरिक्त ब्रेन हेमरेज हार्ट अटैक भी हो सकता है। लू लग जाने पर शरीर का तापमान 105 सेल्सियस तक बढ़ सकता है जिस कारण हाथ पैर एवं शरीर में कन्वर्जन मिर्गी फर्क जैसा लक्षण मिल सकता है।बचाव हेतु गर्मी के दिनों में तरल पदार्थ जैसे नींबू पानी आम रस छाछ लस्सी नारियल पानी बेल शरबत नींबू का शरबत खास कर तरल पदार्थ का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करते रहे। ढीले और सूती कपड़े पहने अचानक ठंडी एसी से धूप में ना जाए, ज्यादा हरी सब्जी खीरा ककड़ी खरबूजा लौकी इत्यादि का प्रयोग करें। मांसाहार नमकीन पदार्थों का सेवन कम करें। उल्टी दस्त लूज मोशन होने पर ओरएस का प्रयोग करें। ज्यादा सीरियस होने पर नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाए एवं चिकित्सक के परामर्श अनुसार सिंप्टोमेटिक इलाज करावे। जनहित में जारी।