जल एवम स्वच्छता विभाग की उदासीनता से पाकुड़िया में फ्लॉप होता दिख रहा है जल जीवन मिशन
अधिकांश घरों में घर-घर नल जल की आपूर्ति नहीं होने से लोगों में दिख रहा है गहरा रोष
जानकारी मिलने पर पदाधिकारी ने दी जलापूर्ति का निर्देश
झारखंड न्यूज़ 24
पाकुड़िया/पाकुड़
मदन प्रसाद भगत
मौसम के बदलते ही धूप की प्रखरता और गर्मी पड़ते ही मार्च के महीने से पाकुड़िया प्रखण्ड के सुदूर विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को पेयजल के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यद्यपि पहले के बनिस्पत इन दिनों पेय जल आपूर्ति की सुविधा बढ़ी है लेकिन करोड़ों की सरकारी राशि खर्च करने के बावजूद पाकुड़िया प्रखण्ड की बड़ी आबादी संवेदक की पूर्णतः उपेक्षा तथा जल एवम स्वच्छता विभाग की पूरी उदासीनता से प्रकृति प्रदत्त जल आपूर्ति से वंचित होता दिख रहा है। जल ही जीवन है का स्लोगन तो ग्रामीणों को भा रहा है परन्तु मानवों के अतिरिक्त सभी जीव धारियों के जीवन में जल जैसे अनमोल प्राकृतिक उपहार के उपयोग करने में विभागीय उपेक्षा कतई भाता नहीं दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण प्रखण्ड मुख्यालय पाकुड़िया सहित पंचायत के ग्रामीण इलाकों में देखा जा रहा है।
बताया जाता है कि पाकुड़िया में ही घर घर नल जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।पाकुड़िया में बड़ा बाँध के निकट जल टंकी से महीनों से मोटर चोरी होने से पेय जल आपूर्ति बाधित है वहीं परमेश्वर सार्वजनिक धर्मशाला के समीप निर्मित जल टंकी से पेय जल की आपूर्ति बाधित है। प्रखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक कहीं मोटर, कहीं उर्जा प्लेट तथा पाईप में खराबी कहीं सभी घरों में पाईप नहींआदि के कारण घर-घर नल जल नहीं पहुँच पा रहा है। विभाग के निर्देश पर संवेदक जल टंकी के निचले हिस्से रुम में मोटर लगा दिया परन्तु रूम में किवाड़ आदि सुरक्षा के अभाव में मोटर चोरी की घटना सुनी जाती रही है।
पाकुड़िया ग्राम के बड़ा बाँध के निकट भी मोटर चोरी होने की बात कही जा रही है जिससे टंकी से जल आपूर्ति बंद है। वहीं धर्मशाला के निकट बनी टंकी से जल आपूर्ति नहीं हो रही है। बहरहाल विभिन्न कारणों व त्रृटियों से यदि करोड़ों की सरकारी राशि खर्च करने के बाद भी लोगों को पेयजल से वंचित होना पड़ रहा है और यदि लोग इसे शोभा की जल टंकी कह रहे हैं तो गलत नहीं कह रहे हैं। लोगों का कहना है कि जल को बचा कर रखना और जल की महत्ता लोगों को बताना सही है और टंकियों पर लिखा स्लोगान भी ठीक है। परन्तु विभागीय उदासीनता के कारण पेय जल घर-घर नल जल की आपूर्ति नहीं हो पाना स्लोगान से मेल खाता नहीं दिख रहा है। स्लोगान की सार्थकता तब होगी जब घर-घर नल जल की आपूर्ति चुस्त-दुरूस्त कर दी जायेगी। प्रकरण को देखते हुए लोगों का कहना है पाकुड़िया प्रखण्ड में अपवादों को छोड़ कर जल जीवन मिशन फेल होता दिख रहा है।
इधर इस बावत कार्यपालक अभियंता पाकुड़ को बाँध व धर्मशाला के निकट टंकी से जल आपूर्ति नहीं होने की जानकारी मिलने पर वे स्थल पर पहुँचकर पूरा जायजा लिया और बाँध तथा परमेश्वर धर्मशाला के निकट जल टंकियों की जाँच की और संवेदक को आदेश दिया कि शीघ्र ही किवाड़ खिड़की लगा कर ही मोटर लगावें जिससे जल की आपूर्ति सुचारू रूप से होती रही।