फतेहपूर में हुल दिवस धूम धाम मनाया गया
झारखण्ड न्यूज 24 संवाददाता संजय गोस्वामी फतेहपुर
फतेहपुर प्रखण्ड क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मुर्गावानी में शुक्रवार को काफी धूम धाम और उत्साह पूर्वक हूल दिवस मनाया गया।चारो ओर रंगारंग कार्यक्रम सहित मेला का आयोजन किया गया।हूल दिवस के आदिवासी समुदाय सहित समस्त झारखंडी काफी उत्साहित नजर आए। झारखण्ड विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो ने सिद्धू कान्हु के मूर्ति पर माल्यार्पण कर सिद्धू कान्हु चांद भैरव फूलो झानो को नमन किया। एंव स्पीकर ने 30 ग्राम प्रधानों को पागड़ी से सम्मानित किया गया । महतो ने कहा कि आज ही के दिन 30 जून, 1855 को झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार के खिलाफ पहली बार विद्रोह का बिगुल फूंका।
इसके बाद 10 नवंबर 1856 को अंग्रेजों ने संथाल के पूरे इलाके को सेना के सुपर्द कर दिया। तब इस इलाके में गांव के गांव जलाए जाने लगे। सिद्धो, कान्हू, चांद और भैरव को मार डाला गया।अगर सही मायने में देखे संथाल परगना हूल क्रांति का ही देन है।आगे उन्होंने मायूस होते हुए कहा कि आज हम सभी काफी धूम धाम से हूल दिवस मना रहे है ,क्रांति कारी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है ।
रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि जब हमारा देश गुलाम था, तो एक तरफ अंग्रेजी हुकूमत थी, तो दूसरी तरफ स्वदेशी महाजनों के अत्याचार था.
इन दोनों के खिलाफ इस संथाल परगना की धरती से सिद्धो-कान्हू-चांद-भैरव और फूलों-झानों ने बिगुल फूंका था. यह हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए पहला उलगुलान था समाज के अंदर कुछ ऐसी बुराइयां हैं । जिन्हें दूर किए बगैर हमलोग शोषणमुक्त और समतामूलक समाज का निर्माण नहीं कर पाएंगे. यह बात फतेहपुर में हूल दिवस के अवसर पर झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कही. उन्होंने राज्यवासियों से राज्य के अंदर में व्याप्त बुराई, कुरीति, भ्रष्टाचार और शोषण से मुक्त होने के लिए एक और हूल का आह्वान किया झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने अपने विधानसभा क्षेत्र नाला के महेशमुंडा में सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया कर उन्हें नमन किया. स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि विश्व के सारे दार्शनिक एवं स्वाधीनता प्रेमी इस हूल को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. शहीदों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता. इसलिए आज हम सभी हूल दिवस मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं उनके सहयोगी हर वर्ष 1855 के इस हूल को याद करते हैं. इसके पीछे एक ही उद्देश्य होता है कि आज की युवा पीढ़ी के दिल में हूल के विषय में जानने के लिए उत्साह पैदा हो मौके पर झामुमो कार्यकर्ता गण और ग्रामीण उपस्थित थे।