‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’: बूंद-बूंद सिंचाई से किसानों का बढ़े उत्पादन, जानें क्या है योजना
झारखण्ड न्यूज 24 संवाददाता/ संजय गोस्वामी फतेहपुर
‘बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति’, जी हां, किसानों को सिंचाई और जल संरक्षण की पहल से जोड़ने के लिए ड्रिप इरीगेशन प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ सिंचाई योजना जल संरक्षण के क्षेत्र में काफी मुफीद साबित हो रही है। जल संरक्षण की दिशा में पहल आज कुण्डहित प्रखण्ड क्षेत्र के खजूरी पंचायत भवन में प्रक्षिण दिया गया। प्रक्षिण में कुण्डहित प्रखण्ड के बीटीएम सुजीत कुमार सिंह, प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी मनोरंजन मिर्धा, झारखण्ड के एरिया मैनेजर सुजीत सिन्हा एवं दीपक सिंह मुख्य रूप से उपस्थित थे। प्रक्षिक सुजीत कुमार ने ड्रिप से खेती करने तकनीक अपनाने को लेकर उपस्थित किसानों को प्रेरित किया ।पिछड़े और कम पानी वाले पहाड़ी क्षेत्र में खेती कर रहे किसान जहां छोटे-छोटे उपकरणों का इस्तेमाल कर जल संरक्षण कर रहे हैं, तो वहीं अपनी फसलों को बेहतर लाभ भी दे रहे हैं। किसानों का मानना है कि स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर या ड्रिप जैसे सिंचाई उपकरणों से न सिर्फ पानी के बचत होती है बल्कि पानी की एक-एक बूंद उपयोगी सिद्ध होती है। उत्पादन में हो रहा फायदा इस बारे में स्थानीय किसान बताते हैं कि पहले खेती में सिंचाई के लिए सस्ती पाइप की सहायता करते थे, इसके लिए उसे बीच-बीच में पाइप को तोड़ना पड़ता था, साथ ही नाली बनाना पड़ता था। इसमें कई बार अगर खेत समतल नहीं है तो एक ही जगह पानी भर जाता था तो कहीं पानी कम पहुंचता। इससे फसल को नुकसान होता था। अब प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आई, जिसके तहत पोर्टेबल स्प्रिंकलर, मिनी स्प्रिंकलर या ड्रिप 90 प्रतिशत की छूट पर मिलने लगा। अब इसको लगा कर काफी लाभ मिल रहा है। इससे अगर सिंचाई करने पर मटर आदि में काफी फायदा मिला। खास बात ये है कि तब पानी भी ज्यादा लगता था, लेकिन अब 50-60 प्रतिशत पानी की बचत होती है। साथ ही जो ऊपर कीड़े आदि बैठ रहते हैं वो भी उड़ जाते हैं किसानों के बीच हो रहा । बताया कि जामताड़ा जैसे जिले जहां पानी का स्तर काफी नीचे जा रहा है, वहां के लिए काफी उपयोगी है। किसान सब्सिडी पर उपकरणों को लगाकर पानी की बचत के साथ ऊर्जा की भी बचत कर रहे हैं। लगभग एक हजार से ऊपर के फॉर्म आ चुके हैं उपकरण के लिए। क्या है’बूंद-बूंद सिंचाई’ सिंचाई में पानी एक-एक बूंद का प्रयोग करने के लिए सरकार ने ”प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” चलाई है, जिसके अंतर्गत सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है और पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद-बूंद करके टपकाया जाता है। इस कार्य के लिए पाइप, नलियों तथा एमिटर का नेटवर्क लगाना पड़ता है। इसे ‘टपक सिंचाई’ या ‘बूंद-बूंद सिंचाई’ भी कहते हैं। इसके जरिए पानी थोड़ी-थोड़ी मात्र में, कम अंतराल पर सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। मौके पर किसान चांदनी बाउरी ,शिवधान मुर्मू , टिंकू डोम मरांडी एंव काजल रजवार उपस्थित थे।