November 2, 2024
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जिले को डायन प्रथा एनीमिया और कुपोषण मुक्त बनाने हेतु की जाने लगी है कवायद

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जिले को डायन प्रथा एनीमिया और कुपोषण मुक्त बनाने हेतु की जाने लगी है कवायद

*सुधाकर कुमार गुमला*
गुमला:- समाज कल्याण एवं जिला विधिक जागरूकता प्राधिकार के संयुक्त तत्वाधान में डायन प्रथा के अधिक मामले वाले पंचायतों में नुक्कड़ नाटक एवं पंपलेट वितरण तथा जागरूकता कार्यक्रम कर डायन कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसे चिन्हित पंचायतों में डालसा द्वारा लीगल एड क्लीनिक भी खोले गए हैं। जिसके द्वारा पंचायत भवन में साप्ताहिक शिविर लगाकर पारा लीगल वॉलिंटियर्स द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

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समाज कल्याण विभाग द्वारा जिला मुख्यालय, सभी प्रखंड मुख्यालय एवं सभी प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर डायन प्रथा के उन्मूलन हेतु होल्डिंग्स लगाए गए हैं । अनेक सार्वजनिक स्थल पर दीवार लेखन किया गया है, एवं आंगनवाड़ी केंद्र में प्रत्येक माह महिला मंडल की बैठक कर महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। जिले के सभी कस्तूरबा स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। जेएसएलपीएस के गरिमा परियोजना द्वारा भी पंचायत स्तर पर कार्यक्रम किए जा रहे हैं । साथ ही पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास के उपाय किए जा रहे हैं।

आने वाले दिनों में डायन प्रथा उन्मूलन हेतु कक्षा 6 के ऊपर के सभी छात्रों को विशेष सत्र के माध्यम से डायन प्रथा कुरीति के बारे में जागरूक किया जाएगा। सभी शिक्षक सप्ताह में इस विषय पर एक कक्षा अवश्य लेंगे। प्रत्येक गुरु गोष्ठी में इस विषय पर अवश्य चर्चा की जाएगी। प्रत्येक प्रखंड में एक गरिमा केंद्र का निर्माण किया जाएगा एवं उसे सशक्त बनाया जाएगा। डालसा की लीगल एड क्लीनिक को प्रखंड विकास पदाधिकारी के समन्वय से सशक्त बनाया जाएगा। सभी पंचायत भवन विद्यालय आंगनबाड़ी केंद्र और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर डायन प्रथा मुक्ति हेतु दीवार लेखन किया जाएगा। ऐसा देखा गया है, कि डायन कुप्रथा कि ज्यादा घटनाएं नशे के वातावरण में होते हैं, *इसे रोकने के लिए “नशा मुक्ति अभियान” को और सशक्त बनाया जाएगा* ।

*जिले में एनीमिया और कुपोषण भी एक गंभीर समस्या है जिससे दूर करने के लिए विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग कार्य योजना बनाई गई है* अनिमिया से ग्रसित वर्ग है 0 से 5 वर्ष के बच्चे, 6 से 19 वर्ष की बालिकाएं , एवं गर्भवती धात्री महिलाएं ज्यादा पीड़ित है। वर्तमान में प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र में मासिक पोषण एवं स्वास्थ्य दिवस (बी.एच.एस.एन.डी. डे) पर 3 से 5 वर्ष के बच्चों की एनीमिया टेस्टिंग की जा रही है। और उसे समर ऐप पर जेएसएलपीएस द्वारा दर्ज किया जा रहा है। हिमोग्लोबिन कम मात्रा वाले बच्चों की पहचान के बाद उनका उपचार किया जा सकेगा। आने वाले दिनों में किशोरी बालिकाओं और गर्भवती धात्री महिलाओं की एनीमिया की टेस्टिंग की जाएगी एवं चिन्हित का उपचार किया जाएगा।

वर्तमान में विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों ,कस्तूरबा स्कूल ,प्लस टू स्कूल, पंचायत भवन, में दीवार लेखन के माध्यम से एनीमिया से बचाओ हेतु प्रचार प्रसार किया जा रहा है। एवं एनीमिया से मुक्ति हेतु अपने खेत ,बागान, पोखर, में उगने वाले हरी साग खाने ,आयरन की टेबलेट एवं आयरन सिरप के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी जा रही है।

महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा महिलाओं और बच्चों कुपोषण दूर करने हेतु पोषण अभियान योजना का संचालन किया जा रहा है। इस अभियान के तहत विभाग द्वारा सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में 0 से 5 वर्ष के बच्चों की वृद्धि निगरानी एवं कुपोषण के पहचान हेतु स्टेडियोमीटर इन्फैंटोमीटर वजन मशीन जैसे उपकरण बच्चों की ऊंचाई,लंबाई और वजन मापने के लिए मुहैया कराए गए हैं। पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से बच्चों का वजन लेकर वृद्धि निगरानी की जा रही है। गर्भ काल से लेकर 2 वर्ष की उम्र तक कुल 1000 दिन का किसी भी व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व है शरीर के सभी अंग का निर्माण ब्रेन का निर्माण एवं विकास तथा सबसे अधिक वृद्धि इसी 1000 दिन में मैं हो जाती है। इसलिए आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भावस्था के दौरान देखभाल संस्थागत प्रसव जन्म के तुरंत बाद स्तनपान 6 माह के बाद ऊपरी आहार 18 वर्ष से पहले विवाह को रोकना जैसे विषयों पर वी.एच, एस.एन.डी. डे तथा अन्य बैठकों पर सेविका सहिया एवं एन.एम द्वारा महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है।
*पोषण अभियान योजना के तहत विभिन्न विभाग में के बीच समन्वय स्थापित कर कुपोषण दूर करने हेतु कार्य योजना बना ली गई है*। इसमें महिला बाल विकास के साथ-साथ स्वास्थ विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग ,शिक्षा विभाग , ग्रामीण विकास विभाग , पंचायती राज एवं जनप्रतिनिधियों के माध्यम से साथ मिलकर बच्चों और महिलाओं में कुपोषण को दूर किया जाना है।

इसी के साथ, आने वाले दिनों में पंचायत स्तर पर स्वस्थ बच्चा प्रतियोगिता, स्वास्थ्य मां प्रतियोगिता , गोद भराई अन्नप्राशन जैसे कार्यक्रम आयोजित कर इन महत्वपूर्ण विषयों पर दिए गए सलाह पर अमल करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। और इस क्षेत्र में अच्छा काम करने वाली सेविका,सहायिका, सहिया एन.एम को पुरस्कृत किया जाएगा।

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