गुमला में जनजाति अधिकार महारैली सह जनजाति महासम्मेलन का किया गया आयोजन
संवाददाता – सुधाकर कुमार गुमला
परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम गुमला में जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वावधान में अपने मूल रूढ़ी परंपरा संस्कृति रीति रिवाज को छोड़ ईसाई व मुस्लिम अल्पसंख्यक बन चुके लोगों को जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग को लेकर जनजाति अधिकार महारैली सह जनजाति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान जनजाति समाज के हजारों लोगों ने शोभायात्रा की शक्ल में तख्ती लेकर धर्मांतरितों को एसटी की सूची से बाहर करने , धर्मांतरण बन्द करने ,कार्तिक उरांव अमर रहे
बिरसा मुंडा अमर रहे ,बैगा पहान की जय का नारा के साथ पूरे गुमला शहर का परिभ्रमण करते हुए सभा स्थल तक पहुंचे। जहां अतिथियों का परंपरागत तरीके से स्वागत करते हुए शोभायात्रा में जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ राजकिशोर हांसदा , प्रदेश संयोजक संदीप उरांव , सन्नी टोप्पो , राजू उराँव,विशु सोरेंग,जगदीश उराँव लक्ष्मी बड़ाईक खेदु नायक,दिनेश लकड़ा,नन्दलाल बड़ाईक,पारस उराँव,ललीता उराँव,गौरी किन्डो,सोनामनी उराँव,बिरजु नगेशिया,रापमुनी भगत,पिंक्की खोया अर्जुन भगत,सोनो मिंज ,फुलमनी उराँव सहित गुमला जिला में निवास करने वाले तमाम जनजाति बेगा पहान पुजार जनजाति गाजे बाजे के साथ,नृत्य के साथ अधिकार रैली शामिल थे।
रैली के पश्चात सर्वप्रथम मंचाशीन अतिथियों के द्वारा बाबा कार्तिक उराँव ,भगवान बिरसा मुण्डा, भारत माता के प्रतिमा पर माल्यर्पण करते हुए व द्वीप प्रज्वलन करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई।पड़हा के बेल राजबेल उराँव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बाबा कार्तिक उराँव के अधुरे सपने को पुरा करने के उद्देश्य से हम यहाँ एकत्रित हैं। जनजाति सुरक्षा मंच के झारखंड -बिहार के संयोजक संदीप उराँव ने कहा संविधान में आरक्षण मूल जनजाति असली जनजाति लोगों के लिए है जिसका लाभ अवैध तरीके से धर्मांतरित लोग उठा रहे हैं। सह संयोजक पिंकी खोया ने बाबा कार्तिक उरांव जी के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए लगातार आंदोलन करने की जरूरत बताई। राष्ट्रीय सदस्य कृपा शंकर भगत ने गीत के माध्यम से समाज के हक अधिकारों का संरक्षण के लिए आवाज बुलंद करने का आह्वान किए।वहीं राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ राजकिशोर हांसदा ने बाबा कार्तिक उरांव द्वारा 1967 -70 में संसद भवन में लाए गए बिल पर चर्चा करते हुए इसको पुनः सांसद पर रखने का मांग किया और इसके लिए आम जनमानस से सड़क से लेकर सदन तक अपने संवैधानिक आरक्षण की मांग को बुलंद करने के लिए आदिवासी समाज को संगठित होने के लिए अपील किये। मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक सह छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री गणेश राम भगत जी ने संबोधित करते हुए कहा की पूरे भारत देश में आदिवासी जनजाति समाज के संवैधानिक आरक्षण का लाभ वैसे लोग उठा रहे हैं जोकि आदिवासी परंपरा रीति-रिवाज रुड़ी पद्धति को नहीं मानते हैं और विदेशी संस्कृति परंपरा को स्वीकार कर लिए हैं। वो मूल जनजाति असली जनजाति किसी भी परिस्थिति में नहीं हो सकतें हैं। उन्हें तत्काल अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए एवं आरक्षण का लाभ वैसे मूल जनजातियों को मिले जो निश्चित तौर पर अपने पूजा पद्धति रीति रिवाज संस्कृति के तौर तरीकों को को मान रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नई मांग नहीं है वर्षों पुरानी मांग है जिसको कार्तिक उरांव ने 70 के दशक में सदन में उठाया था वही मांग को आज जनजाति सुरक्षा मंच पूरे भारत देश में उठा रहा है। जनजाति समाज से अल्पसंख्यक बन गए लोगों को अविलंब अनुसूचित जनजाति जनजाति श्रेणी से बाहर किया जाए
और हमारी लड़ाई किसी समाज से नहीं है हमारी लड़ाई अपने हक अधिकार का संरक्षण के लिए सरकार से है। संविधान में अल्पसंख्यक लोगों को अलग से आरक्षण की प्रवधान है। बावजूद वे लोग अल्पसंख्याक बनने के बाद भी जनजाति समाज का आरक्षण का दोहरा लाभ ले रहे हैं।मंच का संचालन खेदु नायक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जिला संयोजक जयराम इन्दवार ने किया।