आधुनिकता की अंधी दौड़ में तनावग्रस्त युवा पीढ़ी जिंदगी को ठोकर मारकर खुद को मिटाने को हो रहें हैं आतुर
झारखंड न्यूज24 : हजारीबाग
कृष्णा कुमार
एक समय था जब निम्न वर्ग और मध्यमवर्गीय तबके के लोग कर्ज, भुखमरी, गरीबी, बीमारी और लाचारी में बेबस होकर आत्महत्या की ओर अग्रसर होते थे और आत्महत्या करने वालों में अधिकतर उम्रदराज और अनपढ़ लोग होते थे। लेकिन वर्तमान परिवेश में संभ्रांत परिवार के लोग और विशेषकर पढ़ा- लिखा युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिकता की अंधी दौड़ में इस कदर पागल है कि तनाव में आकर खुद को मिटाने को आतुर हो रहे हैं। युवा पीढ़ी के तनावग्रस्त होने का जो प्रमुख कारण नजर आता है उसमें प्रेम प्रसंग, घरेलू तनाव, पति- पत्नी के बीच आपसी मतभेद और बेरोजगारी के मामले अधिक होते हैं। हिंदुस्तान में कम उम्र में ही तनावग्रस्त होकर जिंदगी को ठोकर मार कर मौत की आगोश में सो जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हिंदुस्तान एक युवा राष्ट्र है अर्थात यहां युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा है, मगर यह विचलित करने वाली बात है कि इस आबादी का बड़ा हिस्सा निराशा और अवसाद से ग्रस्त है। वह दिशाहीन और लक्ष्यहीन है। हमारी नई युवा पीढ़ी वर्तमान भौतिक चकाचौंध एवं पाश्चात्य संस्कृति के जाल में वहकर अपने संस्कारों को भूलकर पतन की ओर अग्रसर हो रही है। युवा पीढ़ी पथभ्रष्ट हो रही है और उनमें कुसंस्कार भर रहे हैं। इसके लिए हम सिर्फ युवा पीढ़ी को ही दोषी ठहराए तो यह अनुचित होगा। इसके लिए अभिभावक भी जिम्मेदार हैं। अभिभावकों के पास अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। बच्चे जमकर मनमानी करते हैं और अभिभावकों को कुछ पता ही नहीं चलता । कम उम्र में युवा प्रेम- प्रसंग और प्यार के चक्कर में पड़कर एक- दूजे संग जीने मरने की कसमें खाते हैं। पवित्र पारिवारिक संस्कारों को कुलाचार को भूलकर माता-पिता से विमुख होकर प्रेम विवाह, अंतरजातीय विवाह और लिव इन रिलेशनशिप की ओर अत्यधिक आकर्षित हो रहें हैं। अगर कुछ समय के लिए उनका यह प्रयास कारगर भी होता है तो आगे चलकर यह उनके मानसिक अवसाद का बड़ा कारण बन रहा है। कईएक बार माता-पिता बच्चों की शादी कराते हैं तो अपने मन मुताबिक प्रेमी/ प्रेमिका से शादी तय नहीं होने के कारण भी आत्महत्या की ओर कदम बढ़ाने से पीछे नहीं रहते । आत्महत्या के लिए युवा पीढ़ी जिन भी जहरीली पदार्थों का सेवन करते हैं उसमें सबसे खतरनाक सल्फास है। जहरखोरी में मृत्यु होने वाले अत्यधिक केसेस में सल्फास खाने की वजह सामने आती है। ऐसे तो केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा सल्फास की बिक्री पर प्रतिबंध है लेकिन प्रतिबंध होने के बावजूद बाजार में धड़ल्ले से सल्फास का टेबलेट और पाउडर कृषि संबंधित दुकानों और बीज भंडारों में बिक रहा है। शादी के लग्नों के दौरान सर्वाधिक आत्महत्या का मामला प्रकाश में आता है और आत्महत्या करने की कोशिश सर्वाधिक युवा अपने प्यार के अंधेपन और छोटी-छोटी घरेलू विवाद के कारण करते दिखते हैं। झारखंड के हजारीबाग में वर्तमान शादी लग्न के दौरान करीब 100 से अधिक जहरखोरी के मामले आए। जिसमें साधारण जहरीले पदार्थ खाने वाले तो बच गए लेकिन सल्फास खाने वाले और फांसी के फंदे पर झूलने वाले अत्यधिक लोग हमेशा के लिए चिरनिद्रा में सो गए। हजारीबाग में युवा पीढ़ी में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति समाज के लिए सोचनीय विषय हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों पर विशेष ख्याल रखना होगा। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को सल्फास की खुलेआम बिक्री पर कठोर कदम उठाते हुए इसे पूर्णतः बंद करवाना होगा। युवा पीढ़ी को मानसिक अवसाद और निराशा के जीवन से उबरने के लिए अपने जीवनशैली को बदलना होगा। इसके लिए अपने अभिभावकों, मार्गदर्शकों के संग समय व्यतीत करना होगा, खुद को संयमित रखते हुए खान- पान और दिनचर्या में बदलाव लाना होगा। व्यसनों से किसी भी हाल में खुद को दूर रखना होगा। जब तक खुद में बदलाव की इक्षा जागृत नहीं होगी तब तक जिंदगी को हम खुशनुमा नहीं बना सकते हैं ।
रंजन चौधरी,
मीडिया प्रतिनिधि, सदर विधायक, हजारीबाग ।